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Last Modified: शनिवार, 4 अगस्त 2018 (13:08 IST)

UIDAI मामला : डेटा चोरी होने के खतरे से आपके स्मार्ट फोन को बचाएंगे ये आसान तरीके

UIDAI मामला : डेटा चोरी होने के खतरे से आपके स्मार्ट फोन को बचाएंगे ये आसान तरीके - UIDAI smart phone users, support android operating system
स्मार्ट फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में आधार का हेल्पलाइन नंबर आने के बाद खलबली मच हुई है। यूजर्स को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उनके डेटा का गलत इस्तेमाल न हो जाए। ट्‍विटर पर भी UIDAI ट्रेंड करता रहा। यूजर्स ने इसे लेकर UIDAI पर निशाना साधा। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस मामले को लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा। स्मार्टफोन में अपने आप आधार हेल्पलाइन नंबर सेव होने को लेकर मचे घमासान के बाद एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी गूगल ने माफी मांगी है। गूगल ने कहा है कि अनजाने में स्मार्ट फोन में नंबर सेव हुआ है, लेकिन एंड्रॉयड सिस्टम हैक नहीं हुआ है। हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप इस तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।
 
नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें : अक्सर स्मार्ट फोन पर एप इंस्टाल करते हैं तो नियम व शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं।  नया एप इंस्टॉल होने के बाद पहली बार उसका यूज करने पर वह आपसे कुछ जरूरी ऐक्सेस मांगता है। आप उसे एक्सेस देते समय सावधानी रखें। सेटिंग में जाकर आप देख सकते हैं कि उसे क्या ऐक्सेस दिया है।
  
इनका एक्सेस देने से बचें : ज्यादातर ऐप कॉन्ट्रेक्ट, मेमोरी, गैलरी, कैमरा और माइक्रोफोन का ऐक्सेस मांगते हैं। ये ऐक्सेस उन ऐप्स को ही दें, जिनके लिए वे बहुत जरूरी हों। ऐप की आवश्यकता का भी विशेष ध्यान रखें। 
 
जरूर ऐप को ही करें डाउनलोड : इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो ऐप आपके लिए आवश्यक हों, उन्हें अपने स्मार्ट फोन में इंस्टाल करें। कई बार हम फेक ऐप स्मार्ट फोन में डाउनलोड करते हैं, ‍जो आपकी निजता के लिए खतरा हो सकते हैं। हमेशा सही ऐप का प्रयोग करें और ऐप स्टोर से बाहर का ऐप मोबाइल में इंस्टॉल न करें।
 
डेटा चोरी करने पर कैद की सजा : डेटा चोरी के मामले सामने आने के बाद डेटा चोरी पर रोक के लिए ड्राफ्ट बिल तैयार किया जा चुका है। बीएन श्रीकृष्णा समिति ने 27 जुलाई को केंद्र सरकार को इस बिल का ड्राफ्ट सौंपा। इसमें किसी कंपनी के एग्जिक्युटिव्स की जानकारी में या उनकी लापरवाही के चलते डेटा और संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी की चोरी होने पर 5 साल जेल की सजा का प्रस्ताव सुझाया गया है। समिति ने सुझाव दिया है कि डेटा प्रॉटेक्शन लॉ के उल्लंघन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाना चाहिए।
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