नई दिल्ली। एक संत का अनूठा बाल स्वच्छता अभियान, जिसमें बच्चों ने उनसे आध्यत्मिक प्रवचनों के साथ जीवन को सार्थक बनाने के गुर तो सीखे ही, साथ ही इस अभियान के जरिए एक नया गिनीज विश्व रिकॉर्ड भी रच डाला।
जैन मुनि उपाध्यायश्री गुप्तिसागरजी महाराज के सान्निध्य में आयोजित 'स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत' अभियान के तहत गुरुवार को यहां आयोजित 'दंत स्वास्थ्य निरीक्षण महाकुंभ' में 5,415 स्कूली बच्चों ने हिस्सा लेकर इस बारे में बने विश्व रिकॉर्ड को तोड़ डाला जिसमें फिलीपींस में वर्ष 2012 में 4,128 बच्चों ने ऐसे शिविर में हिस्सा लेकर गिनीज विश्व रिकॉर्ड रचा था। इस महाकुंभ के तहत देशभर के 30 शहरों में दंत स्वास्थ्य शिविर लगाए गए जिसमें लगभग 2,34,000 बच्चों व लोगों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर गिनीज विश्व रिकॉर्ड्स के आधिकारिक सलाहकार लंदन से विशेष तौर पर दिल्ली आए रिचर्ड स्टेनिंग ने सुबह 8 से शाम 6 बजे तक अपनी निगरानी में आयोजकों के दावे की सत्यता का निरीक्षण किया। बाद में रिचर्ड ने कहा कि मैं इस अभियान में इतनी बड़ी तादाद में बच्चों के हिस्सा लेने, विशेषतौर पर छोटे-छोटे बच्चों के इससे जुड़ने से बहुत प्रभावित हुआ हूं। निश्चय ही इससे उनका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। इस अवसर पर उपाध्यायश्री ने कहा कि साधु-संत आत्मकल्याण के साथ-साथ सामाजिक चेतना के भी संवाहक होते हैं।
इस अभियान के जरिए ध्येय है जन-जन को संपूर्ण स्वास्थ्यमय करना और स्वास्थ्य सदैव शारीरिक और मानसिक होने के साथ-साथ पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक होता है और इससे पूरा राष्ट्र स्वस्थ होगा और हम एक मजबूत राष्ट्र बनेंगे।
पिछले 40 वर्षों से शाकाहार को बढ़ावा देने के अभियान में जुटे मुनिश्री ने शाकाहारी जीवनशैली पर बल देते हुए कहा कि मानवीय शरीर संरचना ही शाकाहारी जीवन के अनुकूल बनाई गई है। दरअसल, सही तथा स्वस्थ जीवनशैली का आधार शाकाहार है, यही अंतरंग और बहिर्तप है।
आईआईटी के रिटायर्ड प्रिंसीपल प्रो. जेसी जैन ने इस अवसर पर कहा कि यह बात हैरान करती है कि सरकार ने पेड़ों को काटने पर तो प्रतिबंध लगाया हुआ है, पर जिंदा पशुओं को काटने पर कोई रोक नहीं है।
इस अभियान से सक्रियता से जुड़े भारत दंत चिकित्सा एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा राजधानी स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के दंत चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. महेश वर्मा के अनुसार देश में लगभग 70 प्रतिशत से ऊपर बच्चों के दांतों में कीड़ा लगा रहता है उन्हें और भी मसूड़े संबंधी रोग रहते हैं। दंत स्वास्थ्य के बारे में भारत की वयस्क आबादी की स्थिति भी चिंताजनक ही है। जरूरत है इस बारे में जागरूकता लाने की और दंत चिकित्सा सुविधाओं के व्यापक प्रसार की। दांत और मुख की सफाई संबंधी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से दांतों की बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस अभियान की विशेषता है कि इसे खासतौर पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए लगाया गया है।
शिविर से जुड़ी जानी-मानी दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. रीता वर्मा के अनुसार दंत स्वास्थ्य दरअसल दुधमुंहेपन से ही शुरू हो जाती है। भारत में अक्सर माताएं बच्चों को दूध के दांत आने के बाद भी यह सोचकर स्तनपान कराती हैं कि इससे उन्हें पोषण मिल रहा है, जबकि हकिकत यह है कि उससे उनके दूध के दांत भी खराब हो रहे होते हैं, जो बाद में भी उनका दंत स्वास्थ्य खराब कर सकता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ 2 बार दांत साफ करने से बच्चे अपने दांत तंदुरुस्त रख सकते हैं, यही बात वयस्कों पर भी लागू होती भी है।
विभाग के जनस्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. विक्रांत रंजन मोहंती के अनुसार दंत चिकित्सा एक उपेक्षित क्षेत्र है जिस पर निश्चय ही ज्यादा प्राथमिकता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
इससे पूर्व उपाध्यायश्री ने कहा कि शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हैं। शरीर में दांतों का स्थान प्रमुख है अतएव इनके रखरखाव की पूरी चौकसी रखनी चाहिए। बीमारियां प्रायः दांतों से पैदा हो रही हैं। जरूरत है कि हमारी युवा पीढ़ी, बच्चे पित्जा, बर्गर, हाट डॉग, नूडल्स,
बिरयानी, चॉकलेट, टॉफी, पेप्सी, कोल्ड ड्रिंक, धूम्रपान, तम्बाकू आदि का सेवन नहीं करे जिससे कि दांतों के माध्यम से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके, शरीर को स्वस्थ रखा जा सके तभी कल आने वाला भारत स्वस्थ रहेगा।
गौरतलब है कि यह अभियान वर्षपर्यंत चलेगा। उपाध्यायश्री के अनुसार अगले वर्षों से स्वास्थ्य संबंधी अन्य पहलुओं को लेकर भी इस तरह के वार्षिक शिविर लगाए जाने की योजना है। (वीएनआई)