‘‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संस्कृत भाषा में लिखे गए ग्रंथों की जानकारियों से बहुत अधिक महत्व है हमारे अँग्रेजी विद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा का...’’ - थॉमस बेबिंगटन मैकाले किसी जमाने में अँग्रेजी प्रशासन के एक नुमाइंदे ने भारतीय भाषाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को ये शब्द दिए थे। कहते हैं कि राजा का ही इतिहास होता है। शायद इसलिए ही अपनी भाषा को लेकर इस तरह के कथन इतिहास के पन्नों में मिल ही जाते हैं। पर यह भी कहावत है कि हर किसी के दिन कभी न कभी तो पलटते ही हैं। हमारे उस गुलाम देश के दिन भी वर्तमान के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में पलटे।
आज हमारी स्थिति के साथ-साथ हमारी भाषा और संस्कृति को भी एक सम्माननीय दर्जा प्राप्त हुआ है। यहाँ तक कि अँगरेजी भाषा के प्रसिद्ध शब्दकोष ‘ऑक्सफोर्ड’ ने भी हमारी भाषाओं के कुछ शब्दों से अपने शब्दकोश को अलंकृत किया है।
आज जब हम विश्व की प्रमुख उभरती महाशक्तियों में से एक हैं, तो हमारी स्थिति के साथ-साथ हमारी भाषा और संस्कृति को भी एक सम्माननीय दर्जा प्राप्त हुआ है। हमारी आधिकारिक भाषा हिन्दी के साथ-साथ कई भारतीय भाषाओं के शब्दों को अँग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं में सम्मानीय दर्जा प्राप्त हुआ है। यहाँ तक कि अँग्रेजी भाषा के प्रसिद्ध शब्दकोष ‘ऑक्सफोर्ड’ ने भी हमारी भाषाओं के कुछ शब्दों से अपने शब्दकोश को अलंकृत किया है।
ऐसे ही कुछ हिन्दी शब्द, जो अँग्रेजी भाषा की शोभा बढ़ाने के लिए अँग्रेजी शब्दकोशों में प्रायः मिल जाते हैं, कुछ इस प्रकार हैं -
दार्शनिक शब्दों का समावेश- धर्म और दर्शन हमारी संस्कृति के ऐसे पहलू हैं, जिन्हें हम अपने किसी भी क्षेत्र से अलग नहीं कर सकते हैं। ऐसे में भाषा से दर्शन को अलग करना तो शरीर से आत्मा को निकालने के समान है। ऐसे ही कुछ दार्शनिक और धार्मिक शब्द हैं- ‘आर्यन’, ‘चक्र’, ‘धर्म’, ‘गुरु’, ‘मंडल’, ‘निर्वाण’, ‘पंडित’, ‘पर्दा’, ‘सती’, ‘सूत्र’, ‘स्वस्तिक’, ‘योग’ इत्यादि।
फैशन संबंधित शब्दों का समावेश- भारतीय फैशन जगत आज विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। परंपरागत भारतीय श्रृंगार न सिर्फ विदेशों में धमाल मचा रहा है बल्कि इसके शब्द भी विदेशी फैशन संबंधित शब्दों में काफी हद तक सम्मिलित हो चुके हैं। न सिर्फ अँग्रेजी बल्कि पुर्तगाली और फ्रेंच जैसी भाषाओं को भी हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं के शब्द अपने आलौकिक सौंदर्य से सँवार रहे हैं। उदाहरणतः पुर्तगाली भाषा का शब्द ‘बैंडाना’, जो हिन्दी के ‘बाँधना’ शब्द से लिया गया है। पुर्तगाली भाषा में इस शब्द का प्रयोग एक विशेष प्रकार के बहुरंगीय रुमाल के लिए किया जाता है।
‘बिंदी’ (विशेषतः पाश्चात्य पॉप संगीत में प्रचलित’, ‘बुंगड़ी’ (इसका अभिप्राय काँच से है जो अँग्रेजी के ‘बैंगल’ शब्द में परिवर्तित हो गया), ‘कश्मीर’ (भारत का शहर जिससे अँग्रेजी शासनकाल में ‘कैशमेयर’ शब्द का सृजन हुआ, जो एक विशेष प्रकार की ऊन देने वाली भेड़ के लिए प्रयोग में लाया जाता है।), ‘कमरबंद’ (अँगरेजी में बना ‘कुमरवंड’ नामक अलंकार), ‘धोती’, ‘खाकी’, ‘पैजामा’, ‘साड़ी’, ‘शैंपू’ आदि।
भोजन से संबंधित शब्दों का समावेश- भारतीय लजीज व्यंजन आज विदेशों में भी भोजन के शौकीनों की खास पसंद हैं। जब व्यंजनों को इतनी लोकप्रियता मिल रही है, तो उनसे संबंधित शब्दों का लोकप्रिय होना तो लाजमी है। ऐसे ही कुछ मसालेदार शब्द हैं- ‘करी’, ‘घी’, ‘केदेग्री’ आदि।
अन्य प्रचलित शब्द- इनके अलावा ऐसे बहुत से हिन्दी शब्द हैं, जो हमारी दिनचर्या के साथ-साथ विदेशों में भी आम दिनचर्या में उपयोग किए जाते हैं। उदाहरणतः ‘बंगला’ (अँगरेजी का बैंग्लो), ‘कुली’, ‘डिम्गी’ (छोटी नाँव जो अँगरेजी में ‘डिन्घी’ नाम से प्रचलित है), ‘गेंदखाना’ (अँगरेजी में बना ‘जिम’), ‘लूट’, ‘पलकें’ (पुर्तगाली में ‘पैलेक्विन’) आदि।
‘ऑक्सफोर्ड’ में सम्मिलित हिन्दी शब्द- विश्व के सबसे प्रचलित ‘ऑक्सफोर्ड’ शब्दकोश में भी हिन्दी के सब्दों को सम्माननीय स्थान मिला है। कुछ ऐसे ही हिन्दी के प्रचलित शब्द जो अब अंग्रेजी भाषा के इस शब्दकोश की शोभा बढ़ा रहे हैं, कुछ इसप्रकार हैं- ‘भक्ति’, ‘भगवान’, ‘भजन’, ‘भाँग’, ‘अड्डा’, ‘अंग्रेज’, ‘बदमाश’, ‘आलू’, ‘फिल्मी’, ‘गोरा’, ‘जंगली’, ‘यार’, ‘देसी’ आदि। साथ ही इस शब्दकोश में सम्मिलित कुछ गंभीर शब्द हैं- ‘हिंदुत्व’, ‘स्वदेसी’, ‘यात्रा’ आदि।
‘मैकमिलन’ में सम्मिलित हिन्दी शब्द- अँग्रेजी के एक और महत्वपू्र्ण शब्दकोश ‘मैकमिलन’ ने भी हिन्दी के कई शब्दों को सम्मिलित किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख हिन्दी शब्द हैं- ‘बाबा’, ‘रोटी’, ‘चुन्नी’ और ‘पान’। कमाल की बात तो यह है कि किसी भी विदेशी शब्दकोश में ये शब्द ‘मैकमिलन’ के सिवा कहीं नहीं मिलेंगे।