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Written By WD

अप्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार - सिंह

अप्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार - सिंह -
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विदेशों में रह रहे भारतीयों (प्रवासी भारतीय या एनआरआई) की देश के चुनावों में मतदान करने की इच्छा जल्द ही पूरी होगी और उन्हें अगले आम चुनाव में मतदान करने का अवसर मिल सकेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में आठवें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार देने की दिशा में काम किया जा रहा है और उम्मीद है कि अगले आम चुनाव तक उन्हें मतदान करने का अवसर मिल सकेगा।

सिंह ने प्रवासी भारतीय समुदाय का अपने मूल देश के विकास में ‘सक्रिय’ भागीदारी करने तथा राजनीति में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि अप्रवासी भारतीयों को वर्ष 2014 में देश में होने वाले आम चुनावों में मतदान का अधिकार मिल जाएगा।

उन्होंने कहा हम अपने आर्थिक और सामाजिक विकास की रफ्तार को तेज करने में समुद्रपारीय भारतीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी चाहते हैं। इस लिहाज से अप्रवासी भारतीयों की दूसरी पीढ़ी को उसकी पुश्तैनी धरोहर से जोड़ने की कोशिश करना और भारत को आगे बढ़ाने में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर लगातार जारी हमलों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशों में रहकर पढ़ रहे छात्रों और कामगारों की सुरक्षा हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में से है। इसे लेकर हम हर संभव कदम उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा अगले दो साल में नौ से दस प्रतिशत आर्थिक विकास दर हासिल कर ली जाएगी। उन्हें उम्मीद है कि मंदी के बावजूद इस वर्ष सात प्रतिशत आर्थिक विकास दर हासिल करने की उम्मीद है। मनमोहनसिंह ने कहा मुझे उम्मीद है कि अगले आम चुनाव तक प्रवासी भारतीय भी चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे।

मनमोहन ने कहा कि वे विदेश में रह रहे भारतीयों के मताधिकार तथा भारत में सत्तारूढ़ पक्ष में अपनी बात को महत्व दिए जाने की अप्रवासी भारतीयों की ‘वाजिब इच्छा’ को समझते हैं। प्रधानमंत्री ने 40 देशों से आए 1500 भारतवंशियों से कहा-हम इस विषय पर काम कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि अप्रवासी भारतीयों को अगले आम चुनावों के वक्त तक मतदान का मौका मिल जाएगा।

उन्होंने कहा दरअसल मैं तो एक कदम आगे बढ़ते हुए पूछना चाहता हूँ कि अप्रवासी भारतीय घर वापस लौटकर राजनीति और सार्वजनिक जीवन में क्यों नहीं शामिल होते, क्योंकि वे व्यवसाय और शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

इन भारतीयों पर हमें गर्व ह
* दुनिया के 48 देशों में मौजूद हैं एनआरआई।

* 12 देशों में एनआरआई की जनसंख्या 5 लाख से भी ज्यादा है।

* 6 देशों में तो वहाँ की जनसंख्या के 30 प्रतिशत से ज्यादा एनआरआई रहते हैं।

* वैश्विक स्तर पर तकनीकि और सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति लाने में एनआरआई की है विशेष भूमिका।

* भारत को आर्थिक महाशक्ति के सिंहासन पर बैठाने में एनआरआई का विशेष योगदान है।

* छत्तीसग़ढ़, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, हरियाणा, दिल्ली, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, गोवा जैसे राज्यों की 2001 की जनसंख्या से ज्यादा संख्या है एनआरआई की।

* पंजाब, असम, झारखंड जैसे राज्यों की जनसंख्या के लगभग बराबर संख्या है एनआरआई की।

* भारतीय नागरिक जो विदेशों में रह रहे हैं या भारतीय मूल के विदेशों में रह रहे लोगों की संतानें। (भले ही उन्होंने दूसरे देश की नागरिकता ले रखी हो)।

एनआरआई डालेंगे वो
* गुजरात
* पंजाब
* राजस्थान
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* आंध्रप्रदेश
* तमिलनाडु
* कर्नाटक