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करवा चौथ व्रत : पौराणिक-प्रामाणिक पूजन विधि

करवा चौथ व्रत : पौराणिक-प्रामाणिक पूजन विधि - Karwa Chauth Hindi
सौभाग्य का दमकता-झिलमिलाता पर्व करवा चौथ
 

 
सुंदर सौभाग्य का व्रत है करवा चौथ। इस बार 30 अक्टूबर 2015, शुक्रवार को सुहागिनों का यह पवित्र व्रत है। इस दिन चन्द्रोदय 8 बजकर 38 मिनट पर है। भारत के प्रमुख नगरों का चन्द्रोदय इंदौर के चन्द्रोदय 8 बजकर 38 मिनट में से 10 से 14 मिनट बढ़ाकर ले सकते हैं। सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है।
 
स्त्रियां इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है, लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है। सार तो सभी का एक होता है- पति की दीर्घायु। इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाती हैं, 16 श्रृंगार करती हैं एवं पति की पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं।
 
आगे पढ़ें करवा चौथ की व्रत विधि... 

 

करवा चौथ व्रत विधि :  


 
करवा चौथ में लगने वाली आवश्यक पूजन सामग्री को एकत्र करें। व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- 
 
'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।' 
 
पूरे दिन निर्जला रहें। दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा मांडें। इसे 'वर' कहते हैं। चित्रित करने की कला को 'करवा धरना' कहा जाता है।
 
8 पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। जल से भरा हुआ लोटा रखें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। 
 
करवा में गेहूं और ढक्कन में शकर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवे की परंपरानुसार पूजा करें।

आगे पढ़ें पति की दीर्घायु की कामना का मंत्र...


 

पति की दीर्घायु की कामना कर यह मंत्र पढ़ें -


 
 
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
 
करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 13 दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
 
रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।