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Last Modified: मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017 (12:11 IST)

तो यह पुरुषों के बेशुमार स्पर्म की बर्बादी है?

तो यह पुरुषों के बेशुमार स्पर्म की बर्बादी है? - Sperm
अगर क्रमिक विकास के दृष्टिकोण से देखें तो जीवन भर के लिए एक पार्टनर का होना कोई दिलचस्प आइडिया नहीं है। पुरुषों का शुक्राणु बेशुमार होता है और जल्दी बन भी जाता है। ऐसे में अगर स्पर्म केवल एक महिला के लिए हो तो इसका अधिकतम फ़ायदा नहीं मिल सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि अगली पीढ़ी को जन्म देने का समय काफ़ी लंबा होता है।
 
अलग-अलग जीवनसाथी का होना महिलाओं के लिए भी लाभप्रद है। अगर किसी महिला के बच्चे अलग-अलग पिता से हैं तो उन्हें बीमारी से लड़ने में आसानी होती है। इसी वजह से स्तनपायी और अन्य जन्तुओं के समूह में एक स्त्री से विवाह विरले ही होता है। इंसानों के साथ भी ऐसी ही बात है। कई संस्कृतियों में कई जीवनसाथी रखने और बहुविवाह की प्रथा मौजूद है।
 
एक अध्ययन के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर की 83 फ़ीसदी संस्कृतियों में बहुविवाह प्रथा मौजूद है। इसके बावजूद ज़्यादातर संस्कृतियों में व्यवहार में एक स्त्री या पुरुष से विवाह ही प्रचलन में है। इसकी एकमात्र वजह यह है कि लोग एक से ज़्यादा जीवनसाथी का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर एक स्त्री या पुरुष से विवाह बेकार है तो अलग-अलग संस्कृतियों में यह प्रचलन में क्यों है?
 
एक नई स्टडी रिपोर्ट ने इस विषय की व्याख्या की है। नेचर न्यूज़ जर्नल में छपे एक आलेख में शोधकर्ताओं की एक टीम ने सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन या आधिपत्य को एक स्त्री या पुरुष से विवाह की प्रथा को लोकप्रिय होने की वजह बताई है। 2000 साल पहले जब लोगों ने आखेट करने की अवस्था से एक ख़ास जीवनशैली तक की यात्रा को तय किया तो एक स्त्री या पुरुष से विवाह को मान्यता मिली।
 
शोधकर्ताओं ने बताया कि जब इंसान शिकार करने के दौर में था तब बहुविवाह आम बात थी और वक़्त के साथ यह प्रथा कमज़ोर होती गई। इन्होंने बताया कि लोगों ने सामाजिक दबाव के कारण अपनी जीवनशैली को बदला। इस शोध पत्र के पहले लेखक क्रिस बावर ने लिखा है, ''उदाहरण के तौर पर अपराध से बचने के लिए हमलोगों ने पुलिस विभाग का गठन किया।''
 
उन्होंने कहा, ''हम लोगों ने अतीत में बहुविवाह की प्रथा को ख़ूब देखा है, लेकिन यह खेतिहर समाज का शुरुआती दौर था। बाद में एक स्त्री से विवाह की प्रथा बढ़ती गई।'' इस शोध में कहा गया है कि आखेट की अवस्था में जब इंसान था तब यौन संक्रमण कोई बड़ा ख़तरा नहीं था। अगर कोई यौन बीमारी से पीड़ित भी होता था तो यह संक्रमण का रूप नहीं लेता था। एक वक़्त के साथ इसका असर ख़ुद ही ख़त्म हो जाता था।
 
रिसर्च के मुताबिक ऐसे बहुत कम लोग थे जो यौन बीमारियों की चपेट में आए थे। जब खेतिहर समाज की आबादी में बढ़ोतरी हुई तो यौन संक्रमण का दायरा भी बढ़ा। इसका दायरा इतना व्यापक हुआ कि महामारी का रूप ले लिया। यही वजह थी कि लोगों ने एक से ज़्यादा महिलाओं के साथ विवाह से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया।
 
हालांकि आज की तारीख़ में सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजिज का इलाज भी संभव है जबकि अतीत में यह विनाशकारी था। अतीत में मेडिकल साइंस का दायरा इतना विकसित नहीं था कि यौन बीमारियों का इलाज किया जा सके। ऐसे में लोगों को कई तरह के इन्फेक्शन का सामना करना पड़ता था। एक दूसरी वजह यह भी है कि एकल विवाह बच्चों की परवरिश के हिसाब से ठीक होता है। इसमें बच्चों का पालन-पोषण सही तरीक़े से होता है।
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