गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Pollution
Written By
Last Modified: गुरुवार, 9 नवंबर 2017 (11:13 IST)

इन तरीकों से प्रदूषण को मात दे रहे हैं कई देश

इन तरीकों से प्रदूषण को मात दे रहे हैं कई देश | Pollution
दिल्ली और आसपास के इलाक़ों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से ख़तरनाक स्थिति बन गई है। दिवाली के बाद फैले धुंए के बाद अब पराली जलाने से हुई धुंध से प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ गया है।
 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का स्तर 100 तक सामान्य है, हालांकि दिल्ली का एक्यूआई आमतौर पर 300 से 400 के बीच रहता है। लेकिन, मंगलवार को यह स्तर 440 तक पहुंच गया था। दिल्ली-एनसीआर, यूपी और आसपास के विभिन्न इलाकों में जहरीली धुंध छाने से गैस चैंबर जैसी स्थिति बन गई है।
 
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार पानी के छिड़काव से लेकर ऑड-ईवन को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। बुधवार को स्कूलों को भी बंद रखा गया। हेलिकॉप्टर से भी पानी के छिड़काव की मांग की जा रही है। भारत के अलावा कई अन्य देश भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। इन देशों में प्रदूषण से निपटने के कई तरीके अपनाए गए हैं जिनसे उन्हें कुछ सफलता भी हासिल हुई है।
 
चीन: पानी छिड़कने से लेकर एंटी स्मॉग पुलिस तक
साल 2014 में चीन के कई शहरों में धुंध छा गई थी और प्रदूषण का स्तर पॉल्यूशन कैपिटल कहलाने वाले बीजिंग में भी बहुत ऊँचा पाया गया था। इसके बाद चीन ने प्रदूषण से निपटने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिए।
 
यहां मल्टी-फंक्शन डस्ट सेप्रेशन ट्रक का इस्तेमाल किया गया। इसके ऊपर एक विशाल वॉटर कैनन लगा होता है जिससे 200 फीट ऊपर से पानी का छिड़काव होता है। पानी का छिड़काव इसलिए किया गया ताकि धूल नीचे बैठ जाए।
 
इसके अलावा, चीन ने वेंटिलेटर कॉरिडोर बनाने से लेकर एंटी स्मॉग पुलिस तक बनाने का फैसला किया। ये पुलिस जगह-जगह जाकर प्रदूषण फैलाने वाले कारणों जैसे सड़क पर कचरा फेंकने और जलाने पर नज़र रखती है। चीन में कोयले की खपत को भी कम करने के प्रयास किए गए हैं जो वहां प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक था।
 
पेरिस: कारों पर नियंत्रण
फ्रांस की राजधानी पेरिस में हफ्ते के अंत में कार चलाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। वहां भी ऑड-ईवन तरीका अपनाया गया। साथ ही ऐसे दिनों में जब प्रदूषण बढ़ने की संभावना हो तो सार्वजनिक वाहनों को मुफ्त किया गया और वाहन साझा करने के लिए कार्यक्रम चलाए गए। वाहनों को सिर्फ 20 किमी। प्रति घंटे की गति से चलाने का आदेश दिया गया। इस पर नज़र रखने के लिए 750 पुलिसकर्मी लगाए गए।
 
जर्मनी: सार्वजनिक परिवहन बेहतर करने पर ज़ोर
जर्मनी के फ्रीबर्ग में प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया गया। यहां ट्राम नेटवर्क को बढ़ाया गया। यह नेटवर्क इस तरह बढ़ाया गया कि यह बस रूट को भी जोड़ सके और ज्यादा आबादी उस रूट के तहत आ जाए।
 
साथ ही यहां सस्ती और कुशल परिवहन व्यवस्था पर जोर दिया गया। बिना कार के रहने पर लोगों को सस्ते घर, मुफ्त सार्वजनिक वाहन और साइकिलों के लिए जगह दी गई।
 
ब्राजील: 'मौत की घाटी'
ब्राजील एक शहर क्यूबाटाउ को 'मौत की घाटी' कहा जाता था। यहां प्रदूषण इतना ज़्यादा था कि अम्लीय बारिश से लोगों का बदन तक जल जाता था। लेकिन, उद्योगों पर चिमनी फिल्टर्स लगाने के लिए दबाव डालने के बाद शहर में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आ गई। यहां हवा की गुणवत्ता पर निगरानी के बेहतर तरीके अपनाए गए।
 
स्विटज़रलैंड: कम की गईं पार्किंग
स्विट्ज़रलैंड के शहर ज्यूरिख़ में प्रदूषण से निपटने के लिए पार्किंग की जगहें कम की गईं ताकि पार्किंग न मिलने के कारण लोग कम से कम कार का इस्तेमाल करें। इस कारण प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से निजात पाने में कुछ हद तक सफलता मिली थी।
ये भी पढ़ें
पहचान में आता है भेड़ों को चेहरा