शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Gujarat riots
Written By
Last Modified: गुरुवार, 2 मार्च 2017 (15:47 IST)

क्या गुजरात दंगे के हिंदू पीड़ित उपेक्षित हैं?

क्या गुजरात दंगे के हिंदू पीड़ित उपेक्षित हैं? | Gujarat riots
- अंकुर जैन (अहमदाबाद से)
 
गुजरात में भयावह दंगों के बाद अब 15 साल से अधिक समय गुज़र चुका है, गुजरात दंगों की चर्चा अब भी बीच-बीच में होती रहती है। लेकिन कई लोगों का आरोप रहा है कि मीडिया गुजरात दंगे के मामले में मुसलमानों को पीड़ित और हिंदुओं को हमलावरों के रूप में दिखाता रहा है।
साबरमती एक्सप्रेस में रेल के डिब्बे में जलकर 59 हिंदू मरे जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, दंगों में कुल 1044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। मगर कई ग़ैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि गुजरात के दंगों में दो हज़ार से अधिक मुसलमान मारे गए थे।
 
मोदी पर किताब
मारे गए ज्यादातर हिंदू अहमदाबाद के रहने वाले थे और उनमें भी बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो पुलिस की फ़ायरिंग में मारे गए थे। इंडिया टु़डे के डिप्टी एडिटर उदय माहूरकर ने नरेंद्र मोदी पर एक किताब भी लिखी है, वे कहते हैं कि गुजरात के हिंदू दंगा पीड़ितों के दर्द और संघर्ष को मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं दी गई। वे कहते हैं, "ऐसा इसलिए है क्योंकि मुसलमानों को पीड़ित बताने की आदी मीडिया को यह बात माफ़िक नहीं लगती।"
 
माहूरकर कहते हैं कि मीडिया में वामपंथियों का बोलबाला है और उन्हें हिंदुओं के दुख-दर्द की कहानियों को नज़रअंदाज़ करने में कोई तकलीफ़ नहीं होती।
 
दंगों की छानबीन
'गुजरात दंगे- असली कहानी' नाम की किताब लिखने वाले एमडी देशपांडे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे कहते हैं, "मारे गए ज्यादातर हिंदू दलित थे और मीडिया ने उन पर ध्यान नहीं दिया।" लेकिन जिन लोगों ने गुजरात के दंगों को कवर किया है और नज़दीक से उसकी छानबीन की है वे माहूरकर और देशपांडे से सहमत नहीं हैं।
 
कई मानवाधिकार संगठनों ने तो यहाँ तक कहा कि मीडिया ने गुजरात के दंगों को ठीक से कवर नहीं किया, यहाँ तक कि दंगों की जाँच करने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट भी कभी सार्वजनिक नहीं की गई जबकि आयोग ने रिपोर्ट तीन साल पहले ही सौंप दी थी।
 
हिंदुओं पर हमले
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व राजनीतिक संपादक राजीव शाह कहते हैं, "दोनों समुदायों पर पड़ने वाले असर में बहुत अंतर था, यही अंतर कवरेज में दिखा, दो लाख से अधिक मुसलमान बेघर हो गए जबकि हिंदुओं पर इस तरह के सुनियोजित हमले नहीं हुए। अब भी अधिकतर दंगा पीड़ित इतने साल गुज़र जाने के बाद अपने घर वापस नहीं जा सके हैं और झोपड़ियों में रह रहे हैं।"
 
राज्य के दंगा पीड़ित दलित हिंदू शिकायत करते हैं कि उन्हें कोई मदद या सुविधाएँ सरकार ने नहीं दीं।
 
गुजरात के दंगों के मामले में 450 से अधिक लोगों को अदालतों ने दोषी ठहराया है, इनमें से लगभग 350 हिंदू और 100 मुसलमान हैं। मुसलमानों में 31 को गोधरा कांड के लिए और बाक़ियों को उसके बाद भड़के दंगों के लिए दोषी पाया गया है।

कई लोगों का आरोप है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन हिंदू दंगा पीड़ितों को अपनी सुविधा के मुताबिक़ इस्तेमाल करते हैं, कई पत्रकारों का कहना रहा है कि विश्व हिंदू परिषद ने उन्हें कई बार हिंदू दंगा पीड़ितों से बात करने से रोका है।
ये भी पढ़ें
क्या सोने की जरूरत नहीं होती हाथियों को?