आइए संकष्टी गणेश चतुर्थी अपनी राशिनुसार करें भगवान गणेश की आराधना।
गणपति शुभ संकल्प पूर्ति के आदि देव माने गए हैं। भगवान गणेश का पूजन और आराधना करने से सभी प्रकार की समस्याएं जैसे रोग, आर्थिक समस्या, भय, नौकरी, व्यवसाय, मकान, वाहन, विवाह, संतान, प्रमोशन आदि संबंधित सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है।
मेष राशि : मेष राशि वालों को 'वक्रतुण्ड' रूप में गणेश जी की आराधना करनी चाहिए और 'गं' या 'ॐ वक्रतुण्डाय हूं' मंत्र की एक माला प्रतिदिन जप कर गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे तुरंत ही जीवन में जो भी समस्या होगी उसका समाधान हो जाएगा।
विशेष : मेष राशि के ईष्ट देव गणेश और हनुमानजी हैं। मंगलवार को हनुमानजी का प्रसाद चढ़ाएं और पूरा प्रसाद मंदिर में ही बांट दें।
वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों को गणेशजी के 'शक्ति विनायक' रूप की आराधना करना चाहिए और उन्हें भी 'गं' या 'ॐ हीं ग्रीं हीं' मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपकर घी में मिश्री मिलाकर भोग लगाएं। निश्चित ही उन्हें सभी तरह की समस्याओं का समाधान मिलेगा।
विशेष : हनुमान या गणेश मंदिर में मंगलवार को शुद्ध घी का दोमुखी दिया लगाएं। आमदनी में दिक्कत हो तो केसर का टीका माथे पर लगाएं।
मिथुन राशि : मिथुन राशि वाले गणेशजी की आराधना 'लक्ष्मी गणेश' के रूप में करें। गणेशजी के लिए मूंग के लड्डू बनाएं और 'श्रीगणेशाय नम: या 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र की प्रतिदिन एक माला जपें।
विशेष : गणेशजी को बुधवार के दिन मंदिर में लड्डू का भोग लगाए। गरीब व्यक्ति को काला कंबल दान दें, काम सुचारू चलेगा।
कर्क राशि : कर्क राशि वालों को 'वक्रतुण्ड' रूप में गणेशजी की पूजा करना चाहिए और उन्हें 'ॐ वरदाय न:' या 'ॐ वक्रतुण्डाय हूं' की एक माला प्रतिदिन जपना चाहिए। पूजन के दौरान गणेशजी को सफेद चंदन लगाकर सफेद फूल चढ़ाएं।
विशेष : प्रतिदिन रोज चंदन का टीका लगाएं और बुजुर्गों का सम्मान करें।
सिंह राशि : सिंह राशि वालों को 'लक्ष्मी गणेश' रूप में गणेशजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उन्हें लाल पुष्प चढ़ाकर मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। 'ॐ सुमंगलाये नम:' मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए जिससे सभी तरह की समस्याओं का समाधान होगा।
विशेष : लाल रंग का रूमाल अपने पास रखें जिससे भाग्योदय होगा और मंदिर में जाकर गणेशजी को किशमिश चढ़ाएं।
कन्या राशि : कन्या राशि के जातकों को भी गणेशजी के 'लक्ष्मी गणेश' रूप का ध्यान करना चाहिए। पूजन के दौरान दुर्वा के 21 जोड़े अर्पित कर 'ॐ चिंतामण्ये नम:' मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपना चाहिए। इससे उनके जीवन की सभी तरह की चिंताएं मिट जाएंगी।
विशेष : गणेशजी की प्रतिदिन पूजा करें। स्थायी सफलता के लिए तुलसी की माला पहनें और घर में कभी कुत्ता न पालें।
तुला राशि : तुला राशि वाले लोगों को 'वक्रतुण्ड' रूप में गणेशजी की पूजा करना चाहिए और पूजा के दौरान गणेशजी को 5 नारियल का भोग लगाएं। तत्पश्चात्य एक माला 'ॐ वक्रतुण्डाय नम:' मंत्र का जप करें। इससे उनकी जो भी समस्याएं होंगी वह भगवान गणेश जल्द ही दूर करेंगे।
विशेष : छोटे भाई-बहनों की मदद करें और गणेशजी के मंदिर में शुद्ध घी का दीया दिन में 11 बजे के पूर्व जिस किसी दिन मन करें लगाकर आएं।
वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि मंगल की राशि है अत: इस राशि वाले जातकों को 'श्वेतार्क गणेश' रूप की पूजा करनी चाहिए तथा पूजा में सिंदूर और लाल फूल अर्पित करना चाहिए। उस जातक के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं रहेगा जो 'ॐ नमो भगवते गजाननाय' मंत्र की एक माला रोज जपेगा।
विशेष : केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं। कभी भी नशा न करें।
धनु राशि : जिसकी भी राशि धनु है उन्हें प्रतिदिन 'ॐ गं गणपते मंत्र' का जप करना चाहिए। धनु राशि गुरु की राशि होती है अत: गणेशजी को पीले फूल चढ़ाकर बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं। ऐसा करने से जहां समस्याएं समाप्त होंगी वहीं मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी। धनु राशि वालों को गणेशजी के 'लक्ष्मी गणेश' रूप की पूजा करनी चाहिए।
विशेष : शांति और समृद्धि के लिए घर में कचरा या गंदगी ना रहने दें। पीले वस्त्र के आसन पर गणेशजी को ईशान कोन में विराजमान कर उनके समक्ष गुरुवार को घी का शुद्ध दीपक लगाएं।
मकर राशि : जिस किसी की राशि मकर है वह प्रतिदिन 'शक्ति विनायक' गणेश की आराधना करें। पूजन के दौरान गणेशजी को पान, सुपारी, इलायची व लौंग अर्पित करें और 'ॐ गं नम:' मंत्र की एक माला रोज जपें।
विशेष : गुरुवार को गणेश, लक्ष्मी या विष्णु मंदिर में पीले फूल चढ़ाएं। लाल सांड को मीठी रोटी खिलाएं।
कुंभ राशि : कुंभ राशि वालों को भी 'शक्ति विनायक' गणेशजी की पूजा करना चहिए और 'ॐ गण मुक्तये फट् मंत्र की एक माला रोज जपना चाहिए। इससे सभी तरह के कष्टों का निवारण होगा।
कुंभ : ध्यान रखें कि आपके यहां से कोई भूखा न जाएं और भोजन में कभी भी ऊपर से नमक न डालें। मंगल, गुरु या रविवार का व्रत रखें।
मीन राशि : मीन राशि वाले जातक 'हरिद्रा गणेश' की पूजा करना चाहिए। 'ॐ गं गणपतये नमः' या 'ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा' मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपना चाहिए। पूजा के दौरान शहद और केसर का भोग लगाएं।
विशेष : गणेश मंदिर में प्याऊ के लिए पैसा दान करें। पीपल के पेड़ की जड़ में पानी डालें और कभी भी झूठ न बोलें।