यहां दबा है जरासंध के सोने का भंडार?
उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, जहां के एक संत ने राजा राव रामबक्श सिंह के किले के नीचे सोना दबे होने का सपना देखा था और सरकार उनके सपने के आधार पर खुदाई करने लग गई थी। शोभन सरकार नाम के महंत ने वहां एक हजार टन सोने के छुपे होने की बात कही थी, लेकिन वहां से एक किलो भी सोना नहीं निकला।
दुनियाभर की मीडिया ने इस खुदाई का लाइव प्रसारण दिखाया था और उस दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह देश के लिए शर्म की बात है कि किसी बाबा के सपने के आधार पर सरकार के आदेश पर पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहा है। लेकिन इस सच को नकारा नहीं जा सकता है कि देशभर में सोना दबा पड़ा है। प्राचीनकाल से ही हमारा देश सोने का देश रहा है। इस देश का सोना पहले हूण और मंगोलों ने लूटा, फिर मुगलों ने लूटा और अपने ऊंटों पर लादकर अपने देश ले गए। इसके बावजूद भारत में हजारों टन सोना दबा पड़ा है। आखिर इतना सोना आया कहां से? उल्लेखनीय है कि दक्षिण के पद्मनाभ मंदिर में करोड़ों का सोना पाया गया था। आओ जानते हैं कि
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सोन भंडार गुफा : देश में कई ऐसी गुफाएं हैं जिनमें लाखों-करोड़ों टन सोना छिपा हुआ है। बौद्धकाल में सोने का संरक्षण किया गया था। बौद्धकाल में बौद्ध और हिन्दू राजाओं ने सोने को छिपाने का कार्य शुरू किया था, क्योंकि इस काल में समाज में ज्यादा वैमनस्य और झगड़ा बढ़ गया था। राजाओं में प्रतिद्वंद्विता भी बढ़ गई थी। ऐसे में कीमती वस्तुओं का मूल्य बढ़ गया और सभी अपने-अपने खजाने को छिपाने में लग गए।बिहार में एक ऐसी गुफा है जिसमें लाखों टन सोना और अन्य खजाने छिपे होने की संभावना व्यक्त की जाती रही है। यह गुफा बिहार के छोटे से शहर राजगीर की वैभरगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। प्राचीन में मगध साम्राज्य की राजधानी रहा बिहार का राजगीर शहर एक ऐतिहासिक शहर है। यहीं पर बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था।यहां पर लगभग 3-4 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध की स्मृति में बनी कई-कई स्मारकों में से एक 'सोन भंडार गुफा' (अर्थात खजाने का अकूत भंडार) रहस्य और रोमांच से भरी है। किंवदंतियों के मुताबिक सोन भंडार गुफा में भरा है सोने और बहुमूल्य खजाने का अकूत भंडार। इतना सोना कि भारत सोने के मामले में दुनिया में नंबर वन बन सकता है।
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देशभर में छिपा है खजाना : माना जाता है कि इस गुफा में अपार सोना छिपा हुआ है, लेकिन इस गुफा में जाने का क्या है रास्ता? इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं मालूम। ऐसा माना जाता है कि खजाना एक 10.4x5.2 मीटर आयाताकार मजबूत कोठरी में कैद है जिसका रास्ता शायद किसी को पता नहीं। गुंबद की भीतरी छत सीधे दीवारों के सहारे 1.5 मीटर ऊंची है, जो चट्टानों को काटकर बनाई गई मौर्यकालीन गर्भगृहों जैसी दिखाई पड़ती है।
सोन भंडार गुफा : इस गुफा में दो कक्ष बने हुए हैं। ये दोनों कक्ष पत्थर की एक चट्टान से बंद हैं। कक्ष सं. 1 माना जाता है कि सुरक्षाकर्मियों का कमरा था जबकि दूसरे कक्ष के बारे में मान्यता है कि इसमें सम्राट बिम्बिसार का खजाना था। कहा जाता है कि अभी भी बिम्बिसार का खजाना इसी कक्ष में बंद है। यह भी कहा जाता है कि यह खजाना जरासंध का था। जरासंध कंस का ससुर था।
सोन भंडार गृह के पास ही उस जैसी और गुफाएं हैं जिन्हें बराबर की गुफाएं कहा जाता है। इन गुफाओं के कमरे भी सोन भंडार गुफा की तरह ही बनाए गए हैं। 5वीं-6ठी सेंचुरी में इन गुफाओं के अंदर और बाहर कई तरह के अभिलेख पाए जाते हैं
किंवदंतियों के मुताबिक, गुफाओं की असाधारण बनावट ही लाखों टन सोने के खजाने की सुरक्षा करती है। इन गुफाओं में छिपे खजाने तक जाने का रास्ता एक बड़े प्राचीन पत्थर के पीछे से होकर जाता है। कुछ का मानना है कि खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभरगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ तक पहुंचता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह खजाना पूर्व मगध सम्राट जरासंध का है तो कुछ का मानना है कि यह खजाना मौर्य शासक बिम्बिसार का था।
अगर इस गुफा में छिपे खजानों की तलाश की जाए तो देश की आर्थिक स्थिति में न सिर्फ सुधार होगा, बल्कि भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में भी उभरकर सामने आ जाएगा। इसी तरह देश में ऐसे कई मंदिर और गुफाएं हैं जिनमें सोना छिपे होने की संभावना हो सकती है।