इंडिया में आपसी सहमति में जरूर बन जाता अगर दोनों समाज में कुछ कुछ लोग इसको जीत और हार की राजनितिक बोलने का मतलब नाक वाली बात न बनाता . जबसे मस्जिद और मंदिर विवाद सुरु हुआ तबसे जिद्द और अहंकार एक दूसरे को निचे दिखा कर राजीनीतिक करना और पाना अपना कैररयर बना ये ळशय बना लिया था कुछ लोग. इन दिनों लोग अपने ही जिंदगी में परेसान है. ये आपस में सहमति से नहीं हो पायेगा मेरे हिसाब से ये होने नहीं देगा कुछ लोग दोनों समाज के.