अयोध्या में राम मंदिर आमसहमति से अवश्य बन सकता है ,
किन्तु धर्म की ठेकेदारी छोड़ने के बाद !
" दया और विश्वास सब धर्मों के मूल ,
तब काहें निज श्वार्थ में जाते है हम भूल .
मानव तो बस मानव है , सेवा ही निज धर्म .
मानव हित से हैट कर जो हो, होता वही अधर्म"!