यह एक प्राकृतिक आपदा थी,इसका दोष किसी पर डाला नही जां सकता,पर ये राज्य सरकार कि जाबाब्दारि थी कि वो तत्काल पीड़ितों कि सुध लेती जिसमे वहा कि सरकार असफल रही हे,संचार माँध्वम और पीड़ितों के अनुभव से तो ये ही जान पड़ रहा हे कि वहा प्रसाशन नाम कि कोई चीज थी ही नही थी कल्पना कि जां सकती हे कि अगर भारतीय सेना ने वहा मोर्चा नही सम्हाला होता तो पीड़ितों कि तादात और अधिक होती/ वही के एक मंत्री का जब ये कथन कि'हमने तो आप लोगो को बुलाया नही था आप लोग क्यो यहा आए,ये हे देश के रखवालों का जनता के प्रति नज़रिया/