हमने अपने पड़ोसियों को अपनी ही नासझि से उन्हें अपने पुराने दुश्मन चीन कि गोद में बिठा दिया हे,ऐसे में हमे देश कि सीमाओं कि और भी देखना होगा,अब विरोध पारघाट करने वाले नही दुश्मनों से विरोध पारघाट करवाने वाले राज नेता कि जरूरत हे,जो दुश्मन कि छाती पर चढ़ कर गर्जना करे ना कि" वार्ताये" इस सरकार ने देश के स्वाभिमान को तार तार किया हे उसे जनता भुलाने वाली नही हे,वो हमारे सैनिकों के सिर कलम करे और हम उनके गले में मालये पह्नाये,अब ये सब बंद होगा,