इस बहस को दूसरी और मोड़ते हुए मेरा सुझाव हे कि संशद से एक नया कानून पास हो और प्रधान मंत्री का चुनाव सीधे जनता से जोड़ दिया जाए,फिर सबके मुगालते दूर हो जायेगे,होता ये हे कि जिसने कभी चुनाव नही लड़ा, जो जनता कि बीच कभी खड़ा नही हुया,वो प्रधान मंत्री बन बैठता हे,ये जनता के साथ धोखा नही तो और फिर क्या हे,जब सरकार सभी आवश्यक चीजों पर से अपना नियंत्रण हटा रही हे तो फिर देश का प्रधान मंत्री पद भी इनके नियंत्रण में क्यो रहे उसे भी खुला छोड़ दिया जाना चाहिए,होता ये हे कि बड़ी पार्टीया लालच में छोटे दलों को अपनी और मिला लेती हे और फिर सुरू हो जाता हे अपनी किमत बसुलने का खेल, मरती तो सिर्फ़ जनता हे,और फिर 5 सालों तक पीसती रहती हे इनकी मनमानी से किए गए निर्णयों से