बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. आलेख
  4. योग को योग ही रहने दो...
Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

योग को योग ही रहने दो...

योग को ग्लैमर बनाना उचित है?

yoga | योग को योग ही रहने दो...
IFMIFM
कुछ दिन पूर्व बाबा रामदेव ने योग को ग्लैमर बनाए जाने का पक्ष लिया। यह उनका अभियान है या नहीं यह तो नहीं मालूम, लेकिन उनके इस वक्तव्य का कई अभिनेत्रियाँ तो अनुसरण करती ही रही हैं, अब कुछ योगाचार्य भी योग को ग्लैमर बनाने का अभियान छेड़ देंगे। कुछ ने तो छेड़ भी रखा होगा।

सोचने में आता है कि योग को ग्लैमर बनाया जाएगा या कि मनमाने तरीके से बन रहा है। यदि बनाया जाएगा तो किस तरह का बनाया जाएगा, इसके क्या मापदंड होंगे? मापदंड तय करने वाला कौन होगा? योग की पहचान को तो खत्म नहीं किया जाएगा? यह कुछ सवाल हैं जो हर व्यक्ति को पूछना चाहिए। बगैर बहस हुए कोई प्रस्ताव पारित हो तो यह गलत ही होगा।

इसके लिए पूरे देश में बहस होना चाहिए, क्योंकि भारत देश और धर्म के लिए 'योग' एक महत्वपूर्ण दर्शन है। कहना चाहिए क‍ि यह समूचे दर्शन, धर्म और व्यवस्था का नाभि स्थल है। इस पर चोट करने से सब कुछ नष्ट होने का खतरा भी है।

आप सोचिए क्या पहले की तरह अब ज्यादा जोर-शोर से योग को योगा कहा जाने लगेगा। योगी को योगे, अर्थ-चंद्रासन को 'हॉफ मून पोज' कहा जाएगा। फिर यह भी कि शिल्पा जैसी किसी सुंदर स्त्री को बगल में रखकर योग के आसन बताए जाएँगे?

या फिर योग को मॉडर्न या ग्लैमरस्ड बनाने के नाम पर उसका पाश्चात्यीकरण करने लगेंगे? जैसा कि आधुनिकता के नाम पर 'भारत' बन गया 'इंडिया'।

शायद आपको मालूम ही है कि 'योग अंग संचालन' को पहले 'योगा एक्सरसाइज' कहा जाने लगा था और अब तो योगा भी हटाकर उसे 'एरोबिक्स' जैसा कुछ कहने लगे हैं। तो क्या अब हम 'योग' की पहचान मिटाकर उसे ग्लैमर का जामा पहनाएँगे। कृष्ण को कृष्णा और अब कृष या क्रिस कहें?

ज्यादातर योगाचार्य योग को बेचने में लगे हैं, लेकिन क्या उनसे किसी ने सवाल पूछा क‍ि आप योग के स्वरूप को बिगाड़ तो नहीं रहे हैं? आधुनिकता के नाम पर उसकी पहचान खत्म करने की साजिश में कहीं आप जाने-अनजाने शामिल तो नहीं?

अंतत : निश्चित ही योग को ग्लैमर का स्वरूप दिया जाना चाहिए, लेकिन योग की पहचान कायम रहे, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। हमें 'ध्यान' के पक्ष में और 'मेडिटेशन' के खिलाफ खड़े होना है। तब ऐसे में योगाचार्यों से ज्यादा जिम्मेदारी उनकी भी बनती है जो योग सीखना चाहते हैं या जो योग विद्या के पक्ष में हैं। यदि आप योगाचार्यों के सामने सवाल खड़े करते रहेंगे या उनका विरोध करते रहेंगे तो वह भी 'योग' को योग ही बनाए रखेंगे।