कैसे करें षष्ठी तिथि का श्राद्ध तर्पण

षष्ठी अर्थात छठ तिथि के श्राद्ध में कैसे करते हैं तर्पण, जानिए सरल विधि।

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जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता लोग करते हैं।

कुश आसन पर पूर्वमुखी होकर बैठें। देव, ऋषि और पितरों के लिए धूप-दीप जलाएं, फूल माला चढ़ाएं और सुपारी रखें।

एक थाली में जल में काले तिल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी मिलाकर रख लें। पास में ही खाली भी थाली रखें।

कुश की अंगूठी बनाकर अनामिका अंगुली में पहनकर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर तर्पण का संकल्प लें।

इसके बाद जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें।

अब मंत्र उच्चारण करते हुए पहली थाली से जल लेकर दूसरी में अंगुलियों से ऋषि एवं देवता और अंगूठे से पितरों को अर्पित करें।

ध्यान रखें कि पूर्व की ओर देवता, उत्तर की ओर ऋषि और दक्षिण की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करें।

कुश के आसन पर बैठकर पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी, गुड़ एवं खीर अर्पित करें।

इसके बाद गाय, कुत्ता, कौवा और अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालकर अलग रखें।

अंत में ब्राह्मण, दामाद या भांजे को भोजन कराएं और तब खुद भोजन करें।