हनुमान जी का पुत्र कौन था, उसका क्या नाम था?
हनुमान जी के पुत्र की कथा लंका दहन और अहिरावण द्वारा श्री राम और लक्ष्मण के अपहरण से जुड़ी है-
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लंका दहन के बाद हनुमान जी अपनी जलती हुई पूंछ की अग्नि को समुद्र के जल से शांत करने पहुंचे।
मान्यता है कि उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक बड़ी मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई।
फिर एक दिन पाताल के राजा अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को पकड़ लिया। जब उसका पेट चीरा गया तो उसमें से वानर जैसा मनुष्य निकला।
वे उस वानर को अहिरावण के पास ले गए। अहिरावण ने उसे पाताल का रक्षक नियुक्त कर दिया। यही वानर ‘मकरध्वज’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
रावण के कहने पर अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया।
उन्हें मुक्त कराने के लिए हनुमान जी पाताल लोक पहुंचे और तब उनकी भेंट मकरध्वज से हुई।
हनुमानजी को देखकर मकरध्वज ने अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाई।
हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर श्री राम-लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का राजा नियुक्त कर दिया।