श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास में इन स्थानों पर किया था निवास
भगवान श्रीराम 14 वर्षों तक वनवास में करीब 200 स्थानों पर रहे। इस दौरान वे कहां कहां रहें? उनमें से कुछ प्रमुख स्थानों के नाम।
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श्रृंगवेरपुर: प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर में गंगा के तट पर रामजी ने केवट से गंगा पार करने को कहा था। वर्तमान में इसे सिंगरौर कहा जाता है।
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चित्रकूट : यहां श्रीराम को मनाने के लिए भरत पहुंचे थे, लेकिन वे चरण पादुका ले जाकर चले गए। चित्रकूट के पास ही सतना में अत्रि ऋषि के आश्रम श्रीराम रुके थे।
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पंचवटी: नासिक के पंचवटी में तीनों कुटिया बनाकर रहते थे। यहीं शूर्पणखा की नाक काटी थी। खर व दूषण का वध हुआ था। रावण सीता का हरण करके ले गया था।
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सर्वतीर्थ : जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया।
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शबरी का आश्रम : भगवान श्री राम और लक्ष्मण रास्ते में पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है। शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा।
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ऋष्यमूक पर्वत : ऋष्यमूक पर्वत पर उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया।
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रामेश्वरम : भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित है।
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धनुषकोडी : रामेश्वरम के आगे समुद्र में नल-नील की मदद से उक्त स्थान से लंका जाने का सेतु बनाया।