क्या आप जानते हैं कि शिवजी ने कितनी बार अपनी तीसरी आंख खोली थी आइए आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं...

शिव जी का तीसरा नेत्र क्रोध का प्रतीक है।

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जब शिव जी अत्यंत क्रोध में होते हैं तब उनकी तीसरी आंख खुलती है।

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महादेव को उनकी तीसरी आंख की वजह से त्र्यंबकेश्वर कहा जाता है।

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एक बार इंद्रदेव और देवगुरु बृहस्पति भगवान शिव से मिलने कैलाश गए।

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तब महादेव ने उनके धैर्य की परीक्षा लेने के लिए ऋषि का रूप धारण कर लिया।

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ऋषि रूप में शिवजी ने इंद्र और देवगुरु का रास्ता रोक लिया।

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तब इंद्र देव ने गुस्से में शिवजी पर अपना वज्र चला दिया और शिवजी ने क्रोध में तीसरी आंख खोल दी।

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शिव जी की पत्नी देवी सती के प्राण जाने के बाद वह मोह माया के बंधन से मुक्त होकर साधना में चले गए।

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तब कामदेव ने तीर मारकर भगवान शिव की साधना तोड़ दी जिससे शिवजी की तीसरी आंख खुल गई।

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माता पार्वती ने जब अपनी आंखें बंद की तब संसार को अंधकार से बचाने के लिए शिवजी ने अपनी तीसरी आंख खोली थी।

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