धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्या, कुमारी पूजा के लिए मान्य है।
कम से कम 9 कन्याओं की पूजा होती है जिसमें उन्हें कुश के आसन या लकड़ी के पाट पर बिठाकर पूजा करते हैं।
सबसे पहले उनके पैरों को पानी या दूध से धोएं। फिर उनके पैरों में महावर लगाकर उनका चुनरी ओढ़ाकर श्रृंगार करें।
फिर उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का तिलक लगाकर उनकी पूजा और आरती करें।
फिर सभी कन्याओं को भोजन कराएं। साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को खीर, पूरी, प्रसाद, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाएं।
भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा दें, उन्हें रूमाल, चुनरी, फल और खिलौने देकर उनका चरण स्पर्श करके उन्हें खुशी से विदा करें।
कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लेकर फिर उन्हें विदा करते हैं।
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