गंगाजी ज्ञान की और यमुना भक्ति देने वाली नदी है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में यमुना नदी का उल्लेख मिलता है।
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यमुना गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो उत्तराखंड के यमुनोत्री नामक जगह से निकलकर प्रयाग में गंगा से मिल जाती है।
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प्रयाग में जहां पर त्रिवेणी संगम है वहां पर यमुना नदी में भी अमृत की बूंदे गिरी थी।
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विवस्वान यानी सूर्य की पत्नी संज्ञा के गर्भ से वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना का जन्म हुआ। यमुनोत्री में गर्म पानी के कुंड को सूर्य कुंड के नाम जानते हैं।
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यमुना की प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्धु, बेतवा और केन उल्लेखनीय हैं।
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यमुना नदी के तट पर ही श्री कृष्ण ने लीलाएं रची थीं। इसे श्रीकृष्ण की संगिनी कहा गया है। इस नदी का गोलोक में नाम विरजा है।
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गोकुल, मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोवर्धन सहित संपूर्ण ब्रजमंडल यमुना नदी के आसपास ही बसा हुआ है।
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यमुना के तट पर दिल्ली, मधुरा, प्रयागराज, आगरा सहित कई प्राचीन नगर बसे हैं।
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यमुना नदी की लंबाई करीब 1376 किलोमीटर है।
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यमुना नदी का जल पहले साफ, कुछ नीला, कुछ सांवला था, इसलिए इन्हें काली गंगा और असित भी कहते हैं। यमुना को ही कालिन्दी कहा गया है।
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यमुना नदी में खनन, बैराज, अस्थियों के विसर्जन और गंदगी के चलते अब यह नदी दम तोड़ रही है। नदी धीरे-धीरे रेगिस्तान में तब्दील हो रही है।