पुरी में जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण रूप में विराजमान है। आषाढ़ माह में रथयात्रा निकाली जाती है। जानते हैं रथयात्रा से जुड़ी खास जानकारी...
एकमात्र ऐसा मंदिर जहां श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा की अधूरी मूर्तियां हैं...
श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लाल ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है...
मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है...
गुंबद के आसपास कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान भी नहीं उड़ाया जा सकता...
पुरी में मंदिर के शीर्ष पर लगा सुदर्शन चक्र सदैव सामने ही दिखता है...
500 रसोइए 300 सहयोगियों बनाते हैं भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहां भोजन...
प्रसाद के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पकता है...
आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। इसे विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा माना गया है...