महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्म आरती। आइए जानते हैं भस्मार्ती के बारे में 10 रहस्य...
महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, पहली आरती भस्मारती में भगवान शिव को घटा टोप स्वरूप दिया जाता है।
भस्म आरती यहां भोर में 4 बजे के करीब होती है। एक सूती कपड़े में भस्म को बांधकर उसे शिवलिंग पर बिखेरते हुए आरती की जाती है
इस आरती में महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है।
जिस वक्त शिवलिंग पर भस्म चढ़ती है उस वक्त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है।
मान्यता है कि उस वक्त भगवान शिव दिगंबर स्वरूप में होते हैं और इस रूप के दर्शन महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
पुरुषों को भी इस आरती को देखने के लिए केवल धोती पहननी होती है। वह भी साफ-स्वच्छ और सूती होनी चाहिए।
पुरुष इस आरती को केवल देख सकते हैं और करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है।
भगवान शिव ने दूषण नाम के एक राक्षस को भस्म कर दिया और उसकी राख से ही अपना श्रृंगार किया।
इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्म से आरती की जाने लगी।
इस आरती की खासियत यह है कि इसमें कई जड़ी बूटियों से बनाई गई ताजा भस्म से महाकाल का श्रृंगार किया जाता है।