जोशीमठ की 8 खास बातें
विकास कार्यों के चलते जोशीमठ नगर अब धीरे-धीरे भूमि में समाता जा रहा है, जानें इसकी खास 8 बातें-
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उत्तराखंड के चमोली जिले में केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री का प्रवेश द्वार है जोशीमठ।
आदि शंकराचार्य के चार मठों में से एक मठ यहीं पर है, जिसे ज्योतिर्मठ कहते हैं।
इस नगर पर पहले कत्यूरी राजवंश का शासन रहा जो उनकी राजधानी भी थी। जिसका उस समय का नाम कार्तिकेयपुर था।
सर्दियां प्रारंभ होती हैं तब बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं और उनकी मूर्ति को 6 माह के लिए जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में रखा जाता है।
नृसिंह मंदिर में रखी नृसिंहदेव की मूर्ति का बायां हाथ जब क्षरण होकर गिर जाएगा तब जोशीमठ सहित केदारनाथ और बद्रीनाथ लुप्त हो जाएंगे।
जोशीमठ नरसिंह रूप भगवान विष्णु की तप भूमि है।
हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद की कहानी भी इसी जोशीमठ से जुड़ी हुई है।
जोशीमठ वो स्थान है, जहां ज्ञान प्राप्ति से पहले आदि शंकराचार्य ने शहतूत के वृक्ष के नीचे कठोर तप किया था।