हरतालिका तीज व्रत के 10 कड़े नियम

हरतालिका के व्रत में कड़े नियमों का पालन करना होता है अन्यथा उसका फल नहीं मिलता है।

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मान्यतानुसार यदि कोई भी महिला एक बार इस व्रत को रखना प्रारंभ कर देती हैं तो उसे जीवनभर रखना होता है। रोग दशा में छूट है।

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2. इस व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलते हैं।

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3. मान्यतानुसार जिस भी तरह का अन्न ग्रहण कर लिया जाता है तो अन्न की प्रकृति के अनुसार उसका अगला जन्म उस योनी में ही होता है।

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4. इस व्रत में महिलाओं को शिव के भजन-कीर्तन करते हुए रातभर जागना होता है।

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5. पूजा के अलावा महिलाएं रातभर जागकर शिव पुराण के प्रसंग भी पढ़ती हैं।

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6. इस दिन शिव, पार्वती और गणेशजी की बालू रेत और काली मिट्टी से हाथों से प्रतिमा को बनाकर पूजा जाता है।

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7. इस व्रत के दौरान व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है।

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8. इस दिन माता पार्वती का षोडशोपचार पूजन किया जाता है जिसमें कई फूल और पत्तों का समावेश होता है।

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9. शिवजी, मां पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा को अगले दिन सुबह विधिवत विसर्जित करने के बाद ही पारण किया जाता है।

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10. पूजा-आरती के बाद प्रात: मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर,भोलेनाथ के सामने दीप जलाकर, हलवे और ककड़ी का भोग लगाकर व्रत खोलते हैं।

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