हरतालिका तीज के दिन निर्जला व्रत रखते हैं। इन 11 चीजों से मां पार्वती होती हैं प्रसन्न।
फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झुले जैसे दो फुलेरा बनाते हैं जो माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं।
माता को सुहाग की 2 पिटारी अर्पित की जाती हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, मेहंदी, आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं।
माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्यार बना रहता है।
बिल्वपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पानपत्ते, केले के पत्ते और शमी पत्ते करें अर्पित।
माता को शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान करने से परिवार की बीमारी और दरिद्रता दूर होती है।
पंचामृत, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश आदि।
दूध में केसर मिलाकर शिव-पार्वती का अभिषेक करें। साथ ही कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस से भी अभिषेक करें।
हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं और उनकी पूजा करें।
व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है।
इस दिन आठ प्रहर की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।
शिवजी, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा को सुबह विधिवत विसर्जित के बाद पारण किया जाता है।