कहां से आया गणपति बप्पा मोरिया
गणपति बप्पा से जुड़े इस मोरया नाम के पीछे का राज है एक गणेश भक्त। आइए जानते हैं...
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चौदहवीं सदी में पुणे के समीप चिंचवड़ में मोरया गोसावी नाम के सुविख्यात गणेशभक्त रहते थे।
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चिंचवड़ में उन्होंने कठोर गणेश साधना की।
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कहा जाता है कि मोरया गोसावी ने यहां जीवित समाधि ली थी।
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तभी से यहां का गणेशमन्दिर देश भर में विख्यात हुआ
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गणेश भक्तों ने गणपति के नाम के साथ मोरया के नाम का जयघोष भी शुरू कर दिया।
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दूसरा तथ्य यह कहता है कि 'मोरया' शब्द के पीछे मोरगांव के गणेश हैं।
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एक अन्य तथ्य के अनुसार मोरगांव का नाम इसलिए हुआ क्योंकि समूचा क्षेत्र मोरों से समृद्ध था।
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यहां गणेश की सिद्धप्रतिमा है जिसे मयूरेश्वर कहा जाता है।
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अष्टविनायक यात्रा की शुरुआत भी मोरया गोसावी ने ही कराई।
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इस कड़ी के प्रथम गणेश मयूरेश्वर ही हैं अर्थात अष्टविनायक यात्रा की शुरुआत मयूरेश्वर गणेश से ही होती है।
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गणपति बप्पा मोरिया का नारा बताता है कि भारत में देवता ही नहीं, भक्त भी पूजे जाते हैं।
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गणपति बप्पा मोरिया का जयकारा शुभ फल जल्दी देता है ऐसी मान्यता है...
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गणपति बप्पा मोरिया
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