चाणक्य के अनुसार 4 हालातों में होता है जान का खतरा

आचार्य चाणक्य के अनुसार आपको 4 तरह के हालातों से बचकर रहना चाहिए क्योंकि इसे जान का खतरा पैदा हो सकता है...

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उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे। असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।- चाणक्य नीति

1. भीड़ की हिंसा :

चाणक्य के अनुसार यदि आपके आस-पास भगदड़ बच जाए या किसी कारणवश हिंसा भड़क जाए तो तुरंत वहां से निकल लें। वर्ना आपको चोट लग सकती है या आपकी जान जा सकती है।

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2.अचानक हो आक्रमण :

चाणक्य के अनुसार आप पर अचानक हमला हो जाए और आप लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं तो वहां से भाग लेने में ही भलाई है। बहादुरी दिखाने के प्रयास में आपकी जान जा सकती है।

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3. अकाल :

जहां आप रहे रहे हैं वहां अकाल पड़ जाए, महामारी फैल जाए तो वहां तुरंत निकलकर कहीं ऐसी जगह चले जाने चाहिए जहां पर आपके खाने पीने की व्यवस्था हो।

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4. अपराधी :

यदि आपके आसपास चरित्रहीन लोग या अपराधी किस्म के लोग हैं तो आपको उस जगह को छोड़ देना चाहिए अन्यथा आप खतरे में पड़ सकते हैं।

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