भद्रकाली की बाईं आंख से चुराया गया था कोहिनूर

भद्रकाली मंदिर आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा और वारंगल के बीच एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और यहीं से कोहिनूर चुराया गया था-

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भद्रकाली मंदिर को दक्षिण का गोल्डन टेम्पल भी कहा जाता है।

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इस भद्रकाली मंदिर का निर्माण 625 ईसवीं में चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन सेकंड ने करवाया था।

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मान्यता अनुसार काकतीय राजाओं ने मंदिर की देवी को कुल देवी मानकर इस दुर्लभ कोहिनूर हीरे को देवी की बाईं आंख में जड़वाया था।

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मां भद्रकाली की आंख में लगाया गया कोहिनूर हीरा गोलकोंडा खानों से खनन किया गया था।

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दिल्ली के मुगल शासकों ने काकतीय राजाओं पर कई बार आक्रमण किए और भद्रकाली की बाईं आंख में लगा कोहिनूर हीरा ले लिया।

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1310 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भद्रकाली मंदिर नष्ट करके कोहिनूर हीरा लूट लिया था।

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कोहिनूर हीरा बाबर, हुमायूं, शेरशाह सूरी, शाहजहां और औरंगजेब से होते हुए पटियाला के महाराजा रणजीत सिंह तक भी पहुंचा।

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महाराजा रणजीत सिंह इस कोहिनूर हीरे को जगन्नाथ मंदिर में देना चाहते थे। लेकिन ब्रिटिशर्स ने इसे इंग्लैंड की रानी को दिया।

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