महाराणा प्रताप का हाथी भी नहीं झुका अकबर के सामने

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बाद उनके स्वामी भक्त हाथी रामप्रसाद की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जाएंगे-

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महाराणा प्रताप के पास एक स्वामी भक्त, होशियार और ताकतवर हाथी था, जिसका नाम रामप्रसाद था।

हल्दीघाटी के युद्ध में रामप्रसाद ने मुगल सेना के कई हाथी मार गिराए थे जिसके चलते मुगल सेना में भय फैल गया था।

इसके बाद मुगल सेना ने उसे पकड़ने के लिए 7 सबसे ताकतवर हाथियों का एक चक्रव्यूह रचा और उसे पकड़ कर ले गए।

रामप्रसाद को अकबर के सामने पेश किया गया। अकबर ने उसका नाम बदलकर पीरप्रसाद कर सैनिकों से उसका ख्याल रखने को कहा।

रामप्रसाद अपने स्वामी से बिछड़कर बहुत दुखी था। सैनिक उसके लिए खाने को गन्ना-केला लाते थे, लेकिन वह कुछ नहीं खाता।

एक हाथी भी जानता था कि वो अब स्वतंत्र नहीं, गुलाम है और अपने स्वामी से दूर है। हाथी को गुलामी पसंद नहीं थी।

सैनिकों ने रामप्रसाद को खिलाने का बहुत प्रयास किया परंतु उसने 18 दिन तक कुछ भी नहीं खाया और अंतत: भूख से अपनी जान दे दी।

उधर, उसके स्वामी महाराणा ने जंगल में घास की रोटी खाकर संघर्ष जारी रखा। दोनों ही झुके नहीं क्योंकि गुलामी उन दोनों को ही स्वीकार नहीं थी।

कहते हैं कि रामप्रसाद हाथी के मरने पर अकबर ने कहा था- 'जिसके हाथी को मैं झुका नहीं पाया उसे मैं कैसे झुका पाऊंगा।''