सांसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण के लिए चर्चा चल रही है लेकिन क्या आप इससे जुड़ी ये बातें जानते हैं
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महिला आरक्षण विधेयक एचडी देवगौड़ा की सरकार के समय 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था। ये तभी से लंबित है।
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इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना है।
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पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस विधेयक को आगे बढ़ाया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हुआ।
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अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 33 फीसदी आरक्षण का उल्लेख किया था।
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संविधान के अनुच्छेद 243D के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान किया गया है।
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21 राज्यों ने अपने-अपने राज्य में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है।
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लगभग 40 देशों में या तो संवैधानिक संशोधन के माध्यम से या चुनावी कानूनों में बदलाव करके संसद में महिलाओं के लिए कोटा है।
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नरेंद्र मोदी सरकार के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 19 सितंबर 2023 को आखिरकार महिला आरक्षण बिल पेश किया।
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इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है।
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