हम सबको मालूम होता है कि टीबी फेफड़े में होने वाली बीमारी है। लेकिन क्या आपने जानते हैं कि यह कैसे होती है क्या है इसके लक्षण
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एक्सपर्ट के अनुसार माइक्रोबैक्टेरियम नाम का कीटाणु जब रीढ़ की हड्डी के टिशू में पहुंच जाता है।
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यह कीटाणु वहां पर संक्रमण पैदा कर देता है, जिस वजह से रीढ़ की हड्डी में टीबी की समस्या हो जाती है।
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रीड की हड्डी में होने वाला टीबी, इंटर वर्टिबल डिस्क में शुरू होता है। इसके बाद रीढ़ की हड्डी में फैलता है।
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एक्सपर्ट कहते हैं की रीढ़ की हड्डी का जो टीबी होता है वह रक्त जनित इंफेक्शन होता है।
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जब व्यक्ति संक्रमित होता है तो बैक्टीरिया खून में चला जाता है। जिससे यह खून से होते हुए शरीर, रीढ़ की हड्डी, घुटने में पहुंच जाता है।
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शरीर में जिस जगह पर बैक्टीरिया जाता है वहां पर ठहरकर पस बनने लगता है और ऐसे संक्रमण हो जाता है।
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स्पाइनल टीबी के पीठ में दर्द, वजन कम होना, बार-बार बुखार आना, भूख न लगना, शीत फोड़ा होना जैसे लक्षण हैं।
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रीढ़ की हड्डी के टीबी का पता लगाने के लिए एक्स-रे या सीटी- एमआरआई कराया जाता है।
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जब स्पाइनल टीबी होने की पुष्टि होती है तो दवाओं के साथ-साथ एंटीट्यूबरक्यूलर थेरेपी भी होती है।
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