डॉ. राधाकृष्णन के अनमोल विचार

डॉ. राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। प्रस्तुत हैं उनके विचार....

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शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि शिक्षक तो वह है जो आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

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भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते हैं।

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कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती, जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो।

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किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।

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शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।

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ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

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शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

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पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

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किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।

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दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जाएंगे यदि यह सत्य कि ज्ञान अज्ञान से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नहीं करता।

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