बिहार के 12 लाजवाब आम जो हर आमप्रेमी को चखने चाहिए

बिहार, देश के सबसे बड़े आम उत्पादक राज्यों में से एक है। अगर आप खुद को आमप्रेमी कहते हैं, तो बिहार के इन 12 अनूठे आमों के बारे में आपको जरूर जानना चाहिए...

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GI टैग प्राप्त यह आम अपने सुनहरे रंग, रसीले गूदे और लाजवाब सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। इसे ठंडा करके, आमरस या कुल्फी बनाकर खाना लाजवाब टेस्ट देता है।

कच्चा हो या पका, जर्दा आम अपनी अनोखी सुगंध, स्वाद और मिठास के लिए मशहूर है। इसे ज्यादातर अचार या चटनी बनाकर खाया जाता है।

मलाईदार और गुलाबी आभा वाला यह आम है इतना मीठा होता है कि आप इसे बार-बार खाना चाहेंगे। इसे ज्यादातर स्लाइस करके डेजर्ट की तरह खाया जाता है।

सीतामढ़ी, चंपारण और मिथिलांचल का बंबइया आम अपनी जल्दी पकने की खूबी कारण जाना जाता है। इसे सब्जी की तरह भी खाया जाता है।

पटना के दीघा का दूधिया मालदा नाम से ही मलाईदार और रसीला होने का दावा करने वाले इस आम का स्वाद इसे दुनिया भर में मशहूर बनाता है।

विलुप्त होने की कगार पर भागलपुर और मिथिलांचल का सिंदूरिया आम, हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम की नई किस्म भी चर्चा में है।

कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर जैसे जिलों का सुकुल आम अपने कम रेशेदार और मीठे गूदे के लिए जाना जाता है। इसे चूसकर खाने का मजा ही अलग है।

समस्तीपुर और मिथिलांचल का सीपिया आम अपने शंख जैसे आकार और रसीले स्वाद के लिए मशहूर है। अगस्त में, जब बाकी आम खत्म हो जाते हैं, सीपिया अपनी मिठास से बाजार में छा जाता है।

बक्सर का चौसा आम, जिसका नाम शेरशाह सूरी की विजय से जुड़ा है, अपने सुनहरे रंग और रेशारहित गूदे के लिए फेमस है। जुलाई-अगस्त में ये खूब बिकता है।

पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज का सुरजापुरी आम छोटी गुठली और खट्टे-मीठे टेस्ट के लिए जाना जाता है। इसकी सुगंध और स्वाद इस क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु का तोहफा है।

उत्तरी बिहार का किशनभोग आम खास गर्मियों में मिलता है और अपने गोल आकार और रसीले, कम रेशेदार गूदे के लिए पसंद किया जाता है।

आम्रपाली, दशहरी और नीलम का मिश्रण, बिहार में व्यावसायिक खेती का सितारा है। बीटा कैरोटीन की भरपूर मात्रा कारण हेल्दी माना जाता है।