यशस्वी भव: पानीपुरी बेचने से शुरू हुआ था Yashasvi का 'मैजिकल सफर'

Yashasvi का यहाँ तक का सफर बेहद कठिन, संघर्षपूर्ण और गरीबी से भरा रहा है

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UP के भदोही के रहने वाले Yashasvi, 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने के लिए मुंबई आए थे।

मुंबई आकर उनहोने आज़ाद मैदान के सामने रामलीला के दौरान गोलगप्पे भी बेचे हैं।

भदोही में Yashasvi के पिता की एक पेंट की दुकान थी।

वानखेड़े में बाहर खड़े Yashasvi का सपना केवल अंदर एक बार जाकर देखने का हुआ करता था।

IPL के 1000वे मैच में Yashasvi ने वानखेड़े में ही MI के खिलाफ 124 रनों की पारी खेलकर सराहना प्राप्त की थी।

Yashasvi जैसा यह हीरा पहली बार मुंबई में, कोच ज्वाला सिंह ने खोजा था।

ज्वाला सिंह ने Yashasvi को जुते और किट दिलवाए और चाल में रहने के लिए जगह भी दी थी।

FC में 15 मैचों में 80.21 औसत से 1845 रन बनाने वाले Yashasvi ने अपने पहले टेस्ट में ही शतक बनाया।