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वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों?

वेलेन्टाइन-डे का विरोध क्यों? -
जनकसिंह झाला

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आज 14 फरवरी का दिन बोले तो प्यार के इजहार का दिन। आज के दिन कई प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को कुछ ना कुछ सौगात देकर अपने प्यार का इजहार करेंगे। कुछ लोग साथ जीने मरने की कसमें भी खाएँगे। संत वेलेन्टाइन के बलिदान के उपलक्ष्य में ये दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

आज हर मंदिर एवं हर बगीचे में आपको हाथों में हाथ डाले हुए प्रेमी दिखाई देंगे। उनको रंगे हाथोपकड़ने के लिए कुछ संगठन भी आज अपने हाथों में लठ लेकर और अपनी मूछों को ताव देकर हर चौराहे पर खड़े नजर आएँगे।

यह लोग इदिवस को पश्विमी संस्कृति से जुड़ा हुआ त्योहार मानते हैं। उनका दिमाग हमेशा विरोध का झंडा लहराकर सिर्फ एक ही बात करता है कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, इसलिए उसका भारत में स्वीकार नहीं करना चाहिए लेकिन वह भूल जाते हैं कि उनके बेटे या बेटियाँ भी इस त्योहार का खुले मन से स्वागत करते हैं।

मैं यहाँ पर पश्विमी संस्कृति का समर्थन नहीं कर रहा हूँ मैं तो सिर्फ इन लोगों को समय के साथ अपना तालमेल स्थापित करने का केवल आग्रह कर रहा हूँ। इस दिन का विरोध करने वाले आइने के सामने खड़े होकर एक बार खुद से सवाल करें कि इस दिन का विरोध वो क्यों कर रहे हैं? वो कौन से ठोस कारण और तर्क हैं, जिनके आधार पर इस प्यार भरे दिन का विरोध किया जा रहा है?

  हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।      
हमारे संविधान में लिखा है कि भारत एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ पर सबको अपनी तरह जीवन जीने की स्वतंत्रता है। फिर यह संगठन ऐसे प्रेमी जोड़ों को परेशान क्यों करते हैं? वह क्यों भूल जाते हैं कि इस प्रकार विरोध कर वह सिर्फ एक दिन के लिए ही मीडिया की सुर्खियों में आएँगे लेकिन सोचो उन्हें कितने प्रेमियों की बददुआएँ झेलनी पड़ेंगी जो असल में सच्चा प्यार करते हैं। जो इस त्योहार को सिर्फ त्योहार के तौर पर न लेकर अपने जीवन का एक अमूल्य हिस्सा मानते हैं।

ऐसे संगठनों को चाहिए कि इस दिन अगर कोई असल में मर्यादाएँ पार कर रहा है, उसको एक अलग जगह पर जाकर प्यार से समझाएँ क्योंकि गुस्से से अक्सर मामले बिगड़ जाते हैं। हाँ उनको पूरी स्वतंत्रता है कि वह सार्वजनिक स्थानों पर इस दिन होने वाली छेड़छाड़ पर रोक लगाएँ लेकिन जो प्रेमी किसी मंदिर में या किसी बगीचे में आराम से बैठकर प्यार की दो बातें कर रहे हैं कृपया उनको बख्शने का कष्ट करें।