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Written By संदीप श्रीवास्तव
Last Modified: गुरुवार, 9 मार्च 2017 (14:04 IST)

प्रयासों के बावजूद मतदाताओं में उदासीनता क्यों?

प्रयासों के बावजूद मतदाताओं में उदासीनता क्यों? - Voting in UP election
मतदाताओं के पास असीम शक्ति होने के बावजूद वे उसका पूर्णरूप से उपयोग करने में फिर क्यों उदासीन दिखे? जबकि चुनाव आयोग ने मतदाताओं के पास उनकी पॉवर को जाग्रत करने, उन्हें प्रेरित करने के लिए विभिन्न प्रकार के मतदाता जागरूक कार्यक्रम युद्धस्तर पर अनवरत रूप से पूरे प्रदेशभर में चलाए। 
 
आम जनमानस से लेकर बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला व विद्यार्थियों आदि सभी वर्गों को जोड़कर मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करने का प्रयास इसी उद्देश्य से किया गया था कि हो सकता है कि इस बार मत प्रतिशत में भारी वृद्धि हो।
 
इसीलिए जिधर देखो उधर मतदान जागरूकता के ही कार्यक्रम चल रहे थे। यहां तक कि उत्तरप्रदेश के फैजाबाद जनपद के जिला कारागार में जेल अधीक्षक आरके मिश्र द्वारा चुनाव आयोग के अभियान में सहयोग करते हुए जेल में निरुद्ध कैदियों से मिलने आने वाले मुलाकातियों व जेल से रिहा हो रहे कैदियों को मतदान अवश्य करने के लिए जागरूक करने का अनूठा कार्यक्रम चलाया गया।
 
मतदाताओं को जागरूक करने के लिए प्रदेश से जिला, जिले से गांव की गलियों तक अभियान चलाते हुए जन-जन को जागृत करने का बीड़ा उठाया गया जिसका परिणाम भी नजर आया। जहां पिछले विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत 59.40% था, वह इस बार के विधानसभा चुनाव में 60.83% हो गया।
 
इस बार प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 14.12 करोड़ हो गई जिसमें से लगभग 8.5 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर मत प्रतिशत को आगे ले जाने का काम किया, जो कि आजादी के बाद से अब तक का सर्वाधिक मत प्रतिशत है।
 
प्रदेश में सर्वाधिक मतदान अमरोहा जिले के नोगांव के जागरूक मतदाताओं की बदौलत 72% प्रतिशत रहा, जबकि चुनाव आयोग ने प्रदेश में मत प्रतिशत को बढ़ावा देने के लिए अपने मतदान जागरूकता कार्यक्रमों में आम व्यक्ति से लेकर देश की महान हस्तियों, बुद्धजीवियों एवं समाजसेवियों, विभिन्न संगठनों व सोशल मीडिया के साथ मिलकर प्रदेश के सभी मतदाताओं को जागरूक करने, उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी जिसके फलस्वरूप परिणाम आगे ही आया लेकिन जितनी अपेक्षा की जा रही थी उतना नहीं। मतदाताओं की उदासीनता इस बार भी दिखी।
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