टोक्यो: भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने सोमवार को कहा कि टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने उन्हें बधाई संदेश दिया जबकि सीनियर खिलाड़ी साइना नेहवाल से उन्हें बधाई नहीं मिली।
गत विश्व चैंपियन सिंधू रविवार को दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय और देश ही पहली महिला खिलाड़ी बनीं। सिंधू ने इससे पहले रियो खेलों में रजत पदक जीता था।
यह पूछने पर कि क्या पदक जीतने के बाद गोपीचंद और साइना ने उनसे बात की, सिंधू ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, बेशक गोपी सर ने मुझे बधाई दी। मैंने अब तक सोशल मीडिया नहीं देखा है। मैं धीरे धीरे सभी को जवाब दे रही हूं।
विस्तार से पूछे जाने पर सिंधू ने कहा, गोपी सर ने मुझे संदेश भेजा। साइना ने नहीं। हम काफी बात नहीं करते।
पिछले साल कोविड-19 महामारी के बीच सिंधू तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए लंदन गई थी जिसके बाद उनके और गोपीचंद के बीच मतभेद की खबरें सामने आई थी। स्वदेश लौटने पर भी सिंधू ने गोपीचंद अकादमी की जगह पार्क तेइ-सांग के मार्गदर्शन में गचीबाउली इंडोर स्टेडियम में ट्रेनिंग का फैसला किया।
गौरतलब है कि साइना नेहवाल पहली ऐसी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी है जिन्होने कांस्य पदक जीता था। लंदन ओलंपिक में उन्होंने मेहनत तो की थी पर ब्रॉन्ज मेडल मैच में उन पर किस्मत मेहरबान थी और हारा हुआ मैच वह जीत गई क्योंकि सामने वाली खिलाड़ी चोट के चलते मैच नहीं खेल सकती थी। टोक्यो ओलंपिक में वह क्वालिफाय नहीं कर पायी थी।
सेमीफाइनल में हारने के बाद निराश थी, कोच ने प्रेरित किया: सिंधू
ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी पीवी सिंधू ने सोमवार को कहा कि बैडमिंटन महिला एकल सेमीफाइनल में हार के बाद वह निराश थी लेकिन कोच पार्क तेइ-सांग ने उन्हें प्रेरित किया कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और चौथे स्थान पर रहने से बेहतर है कि कांस्य पदक जीतकर स्वदेश लौटो।
सिंधू को महिला एकल सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ 18-21, 12-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी लेकिन रविवार को वह कांस्य पदक के प्ले आफ में चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को सीधे गेम में 21-13, 21-15 से हराकर पदक जीतने में सफल रही।
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और विश्व चैंपियन सिंधू से जब सेमीफाइनल में हार के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, सेमीफाइनल में हार के बाद मैं निराश थी क्योंकि मैं स्वर्ण पदक के लिए चुनौती पेश नहीं कर पाई। कोच पार्क ने इसके बाद मुझे समझाया कि अगले मैच पर ध्यान दो। चौथे स्थान पर रहकर खाली हाथ स्वदेश लौटने से बेहतर है कि कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवांवित करो।
उन्होंने कहा, कोच के शब्दों ने मुझे प्रेरित किया और मैंने अपना पूरा ध्यान कांस्य पदक के मुकाबले पर लगाया। मैच जीतने के बाद पांच से 10 सेकेंड तक मैं सब कुछ भूल गई थी। इसके बाद मैंने खुद को संभाला और जश्न मनाते हुए चिल्लाई।
सिंधू से जब रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच के पांच साल के सफर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे, जीत मिली तो हार का भी सामना करना पड़ा लेकिन वह मजबूत बनकर उभरी।
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू ने कहा, पिछले पांच साल में पूरा खेल बदल गया, मैंने कुछ मुकाबले गंवाए तो कुछ मैचों में जीत भी दर्ज की। मैंने इस दौरान काफी अनुभव हासिल किया और विश्व चैंपियन भी बनी।
उन्होंने कहा, पिछले एक साल से अधिक समय में महामारी (कोविड-19) के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई। काफी लोग इससे प्रभावित हुए। काफी टूर्नामेंट रद्द हो गए लेकिन इस दौरान मुझे अपने खेल पर अधिक काम करने का मौका भी मिला जो टूर्नामेंटों के दौरान संभव नहीं हो पाता। मैंने नई चीजें सीखी और इस दौरान मैंने कोच पार्क के साथ प्रत्येक दिन अभ्यास किया।
सिंधू ने जब हैदराबाद के गचीबाउली स्टेडियम स्टेडियम को छोड़कर लंदन में ट्रेनिंग करने का फैसला किया था तो काफी विवाद हुआ था और भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिल रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
दुनिया की सातवें नंबर की भारतीय खिलाड़ी ने कहा, लंदन में जहां मैं ट्रेनिंग कर रही थी वहां का स्टेडियम बड़ा है और वहां के हालात भी टोक्यो से मिलते जुलते हैं इसलिए मैंने वहां ट्रेनिंग करने का फैसला किया और इसका मुझे फायदा भी मिला। अगर आपको बेहतर जगह ट्रेनिंग का मौका मिलता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। भारतीय बैडमिंटन संघ ने मेरा पूरा समर्थन किया। वहां मुझे ड्रिफ्ट का काफी अभ्यास करने का मौका मिला जिससे मुझे काफी फायदा हुआ।
सिंधू ने रियो ओलंपिक से टोक्यो ओलंपिक के बीच तीन कोचों के साथ काम किया और उन्होंने कहा कि प्रत्येक कोच की शैली अलग थी और उन्हें सभी से कुछ ना कुछ सीखने को मिला।
सिंधू ने कहा, मैं कोई नई खिलाड़ी नहीं थी कि किसी नए कोच के साथ काम करने में सामंजस्य नहीं बैठा पाऊं। मेरे पास कौशल और तकनीक थी। बस इसे निखारना था। प्रत्येक कोच की अपनी अलग शैली थी और मैंने सभी से कुछ ना कुछ सीखा। यह कोच से सीखने और उस सीख को लागू करके फायदा उठाने से जुड़ा मामला है। अगर आपके पास कौशल और तकनीक है तो फिर आपको सामंजस्य बैठाने में परेशानी नहीं होती।
सिंधू से जब पूछा गया कि क्या रियो में रजत और टोक्यो में कांस्य के बाद उनकी नजरें पेरिस 2024 खेलों में स्वर्ण पदक पर हैं तो उन्होंने कहा, पेरिस खेलों में तीन साल का समय है। मैं अपनी इस जीत का जश्न मनाना चाहती हूं। लेकिन हां, निश्चित तौर पर पेरिस खेलों में स्वर्ण पदक जीते के लक्ष्य के साथ उतरूंगी।
कोच पार्क के साथ रिश्तों पर सिंधू ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया के इस कोच को पहले से जानती थी इसलिए उनके साथ काम करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई।
उन्होंने कहा, मैंने पार्क को तब से जानती हूं जब वे दक्षिण कोरिया की टीम के साथ थे इसलिए उनके साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं हुई। हम पिछले डेढ़ साल से साथ हैं और आगे भी इस साझेदारी को जारी रखना चाहते हैं।
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की 10वें नंबर की भारतीय जोड़ी ग्रुप चरण में तीन में से दो मुकाबले जीतने के बावजूद नॉकआउट में जगह बनाने में विफल रही लेकिन भारतीय बैडमिंटन संघ के महासचिव अजय सिंघानिया ने कहा कि इस जोड़ी ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया।
सिंघानिया ने कहा, चिराग और सात्विक ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। उम्मीद करते हैं कि पेरिस खेलों में वे हमारे लिए पदक जीतेंगे।
लंबे से समय अपने परिवार से दूर कोच पार्क ने कहा कि उन्हें दक्षिण कोरिया में अपने परिवार विशेषकर तीन साल की बेटी की काफी याद आ रही है।
उन्होंने कहा, मैं अपने परिवार से मिलने को लेकर बेताब हूं। इस साल फरवरी से लेकर अब तक मैंने सिर्फ 13 दिन अपने परिवार के साथ बिताए हैं। मेरी बेटी सिर्फ तीन साल की है और मैं उसे काफी याद करता हूं।
पार्क के कोचिंग करियर का यह पहला ओलंपिक पदक है और उन्होंने पदक के बाद मिल रही बधाइयों के लिए भारतीय प्रशंसकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, पदक जीतने के बाद से भारतीय प्रशंसकों के लगातार बधाई संदेश आ रहे हैं। मेरे इंस्टाग्राम पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। इतना प्यार दिखाने के लिए भारतीय प्रशंसकों को धन्यवाद।(भाषा)