तेनालीराम की कहानियां : कुत्ते की दुम सीधी
Tenali Ramana Story एक दिन राजा कृष्णदेव राय के दरबार में इस बात पर गरमा-गरम बहस हो रही थी कि मनुष्य का स्वभाव बदला जा सकता है या नहीं। कुछ का कहना था कि मनुष्य का स्वभाव बदला जा सकता है। कुछ का विचार था कि ऐसा नहीं हो सकता, जैसे कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती।राजा को एक विनोद सूझा। उन्होंने कहा, ‘बात यहां पहुंची कि अगर कुत्ते की दुम सीधी की जा सकती है, तो मनुष्य का स्वभाव भी बदला जा सकता है, नहीं तो नहीं बदला जा सकता।’ राजा ने फिर विनोद को आगे बढ़ाने की सोची, बोले, ‘ठीक है, आप लोग यह प्रयत्न करके देखिए।’राजा ने दस चुने हुए व्यक्तियों को कुत्ते का एक-एक पिल्ला दिलवाया और छह मास के लिए हर मास दस स्वर्ण मुद्राएं देना निश्चित किया। इन सभी लोगों को कुत्तों की दुम सीधी करने का प्रयत्न करना था। इन व्यक्तियों में एक तेनालीराम भी था। शेष नौ लोगों ने इन छह महीनों में पिल्लों की दुम सीधी करने की बड़ी कोशिशें कीं।
एक ने पिल्ले की पूंछ के छोर को भारी वजन से दबा दिया ताकि इससे दुम सीधी हो जाए। दूसरे ने पिल्ले की दुम को पीतल की एक सीधी नली में डाले रखा। तीसरे ने अपने पिल्ले की पूछ सीधी करने के लिए हर रोज पूंछ की मालिश करवाई। छठे सज्जन कहीं से किसी तांत्रिक को पकड़ लाए, जो कई तरह से उटपटांग वाक्य बोलकर और मंत्र पढ़कर इस काम को करने के प्रयत्न में जुटा रहा। सातवें सज्जन ने अपने पिल्ले की शल्य चिकित्सा यानी ऑपरेशन करवाया। आठवां व्यक्ति पिल्ले को सामने बिठाकर छह मास तक प्रतिदिन उसे भाषण देता रहा कि पूंछ सीधी रखो भाई, सीधी रखो।नौवां व्यक्ति पिल्ले को मिठाइयां खिलाता रहा कि शायद इससे यह मान जाए और अपनी पूंछ सीधी कर ले। पर तेनालीराम पिल्ले को इतना ही खिलाता जितने से वह जीवित रहे। उसकी पूंछ भी बेजान-सी लटक गई, जो देखने में सीधी ही जान पड़ती थी।