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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 28 अगस्त 2021 (15:05 IST)

तालिबान और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की 'दोस्ती' से आतंकवाद फिर बनेगा चुनौती?

आतंकी मसूद अजहर ने तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की खबर

तालिबान और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की 'दोस्ती' से आतंकवाद फिर बनेगा चुनौती? - Terrorism will again become a challenge due to the friendship of Taliban and terrorist organization Jaish-e-Mohammed?
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में हुए फिदायीन आतंकी हमले के बाद एक बार फिर दक्षिण एशिया में आतंकवाद का खतरा मंडराने लगा है। काबुल एयरपोर्ट पर बम धमाकों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट से जुड़े हुए ‘इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत’ (ISIS-K)  ने ली है। आतंकी संगठन आईएसएस से संबद्ध ISIS-K ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उसने अमेरिकी सैनिकों और उसके अफगान सहयोगियों को निशाना बनाया। आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक तस्वीर भी शेयर की जिसके बारे में दावा किया कि यह वही हमलावर है, जिसने हमले को अंजाम दिया। 
 
आतंकी संगठन ISIS-K (खुरासन ग्रुप) के हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में ड्रोन के जरिए एयर स्ट्राइक कर अपने सैनिकों की मौत का बदला लेना भी शुरु कर दिया है। अफगानिस्तान के नांगहार प्रांत में आतंकी संगठन आईएसआईएस-K  के ठिकानों को ड्रोन हमले के जरिए निशाना बनाया गया। नांगहार को आईएसआईएस का गढ़ माना जाता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने भी इस हमले की पुष्टि कर दावा किया है कि हमले में काबुल एयरपोर्ट हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया है। 
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती आतंकी बम धमाके  बाद दक्षिण एशिया में आतंकवाद के एक बार फिर सिर उठाने का खतरा मंडराने लगा है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का जिस तरह से पाकिस्तान ने समर्थन किया है उससे अब पाक समर्थित आतंकवादी गुटों को कश्मीर में अधिक सक्रिय होने का खतरा मंडराने लगा है। 
 
काबुल में सीरियल बम धमाके के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आतंकवाद भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है और पाकिस्तान की भूमिका हमेशा से आतंकवाद में रही है। तालिबान ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि पाकिस्तान उसका दूसरा घर है। ऐसे में भारत हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।
दरअसल में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और भारत के प्रभाव घटने का सीधा फायदा पाकिस्तान को होगा जो लंबे समय से आतंकवाद को पालता आया है। तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद आतंकी और कट्टरपंथी संगठनों के हौंसले फिर बुलंद होंगे और वह बड़े हमले की साजिश रच सकते है। 
 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने तालिबान के राजनीति प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर सहित अन्य नेताओं से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए समर्थन मांगा है। गौरतलब है कि मौलाना मसूद अजहर ने तालिबान की जीत पर खुशी मानते हुए उसका समर्थन किया था।
 
वहीं मसूद अजहर की मुलाकात के बाद भारत की खुफिया एजेंसी अलर्ट हो गई है। खुफिया एजेंसियों को अलर्ट जारी किया है कि जम्मू-कश्मीर में सीमा पार के आतंकी संगठन बड़े हमले को अंजाम दे सकते है। आधिकारिक सोर्स के मुताबिक श्रीनगर में आतंकी हमले के इनपुट मिले है जिसके बाद सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया है।
 
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे क बाद ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त रहे चुके वरिष्ठ राजनयिक जी पार्थसारथी ने भी अंदेशा जताया है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब दक्षिण एशिया में आतंकवाद के बढ़ने का खतरा है। जी पार्थसारथी कहते हैं कि “अफगानिस्तान भारत का पड़ोसी देश है और इसमें पाकिस्तान समर्थिक आतंकवाद भी आ जाता है। अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है इसमें चीन और पाकिस्तान दोनों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है”।
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