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Last Updated : सोमवार, 5 जुलाई 2021 (14:20 IST)

इस बार ओलंपिक में सिंधु से सिल्वर नहीं गोल्ड की उम्मीद क्यों लगाए हुए है फैंस?

इस बार ओलंपिक में सिंधु से सिल्वर नहीं गोल्ड की उम्मीद क्यों लगाए हुए है फैंस? - Fans expect a better result from PV Sindhu in Tokyo Olympics
पुसरला वेंकट सिंधु जैसे ही रियो ओलंपिक 2016 में गोल्ड मेडल मैच में पहुंचीं, वह खेल जगत में एक जाना-पहचाना नाम बन गईं। जापानी खिलाड़ी निजोमी ओकुहारा को हराकर गोल्डन मेडल मैच में पहुंचने वाली पीवी सिंधु का जब सामना स्पेन की कैरोलिना मरीन से हुआ तो ऐसा लगा जैसे पूरे भारत ने उस मैच को क्रिकेट मैच के रूप में देखा हो। 
 
बैडमिंटन प्रतियोगिता के फाइनल में भारत की स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधू स्वर्ण पदक जीतने से चूक गई थी। तीन गेम में स्पेन की 2 बार की वर्ल्ड चैम्पियन कैरोलिना मारिन ने सिंधु को 19-21, 21-12, 21-15 (2-1) से हराया था।
 
पीवी सिंधु को उस मैच में सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था लेकिन यह भारत और सिंधु दोनों के लिए ही एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इस बार यह आशंका जताई जा रही है कि सिंधु अपने प्रदर्शन को सुधार कर टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत सकती है। 
 
मारिन नहीं खेलेंगी टोक्यो ओलंपिक
 
इसका एक बड़ा कारण यह है कि सिंधू को रियो ओलंपिक में खिताबी मात देने वाली स्पेन की बैडमिंटन खिलाड़ी कैरोलिना मारिन टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा नहीं है। यह सिंधु के लिए एक मनौवैज्ञानिक लाभ दे सकता है क्योंकि ओलंपिक के बाद भी वह कई बार मरीन के हाथों मात खा चुकी हैं। 

गत चैंपियन कैरोलिना मारिन बायें घुटने में चोट के कारण हाल ही में टोक्यो ओलंपिक से हट गईं थी। इस स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी को चोट से उबरने के लिए सर्जरी करानी पड़ेगी। तीन बार की विश्व चैंपियन मारिन खिताब की प्रबल दावेदार थी क्योंकि वह शानदार फॉर्म में चल रही थी और इस साल पांच फाइनल में खेलते हुए चार खिताब जीतने में सफल रही थी। 
 
बुरे फॉर्म के बावजूद उम्मीद बरकरार
 
हालांकि ऐसा नहीं है कि सिंधु सिर्फ मरीन के हाथों हारी हो। वह कोरोना काल में वापसी के बाद थाईलैंड ओपन में  डेनमार्क की मिया ब्लीचफेल्ट ने एक घंटे 14 मिनट तक चले संघर्ष में 16-21, 26-24, 21-13 से मात खा चुकी हैं। 
 
यही नहीं ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में दुनिया की 11वें नंबर की खिलाड़ी चोचुवोंग की फुर्ती, ताकत और सटीकता की बराबरी नहीं कर सकी और 43 मिनट तक चले मुकाबले में 17-21 9-21 से हार गयीं थी। लेकिन इसके बावजूद खेल को अलग स्तर पर ले जाने के जूनून से सभी भली भांति परिचित हैं। फैंस उनसे इस बार गोल्ड की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
 
 
गोपीचंद को भी ओलंपिक 2020 में है गोल्ड की आस
 
भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद को उम्मीद है कि भारत 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में इस खेल का पहला स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहेगा। 
 
उन्होंने कहा, 'बीजिंग ओलंपिक 2008 में क्वार्टर फाइनल में पहुंचना अच्छा परिणाम था। इसके बाद 2012 (लंदन ओलंपिक) में हमने पहली बार कांस्य पदक (साइना नेहवाल) जीता और 2016 (रियो ओलंपिक) में पहला रजत पदक (पीवी सिंधू) हासिल किया।उम्मीद है कि 2020 (टोक्यो ओलंपिक) में हम पहला स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहेंगे।'
 
 
गोल्ड लाई तो बन जाएंगी दो मेडल जीतने वाली एकमात्र महिला भारतीय खिलाड़ी
 
अगर पीवी सिंधु गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब हुई तो वह भारत की पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन जाएंगी जिन्होंने 2 मेडल जीते हैं। इससे पहले भारतीय पहलवान सुशील कुमार ने साल 2008 में ब्रोन्ज और साल 2012 में सिल्वर मेडल जीता था। (वेबदुनिया डेस्क)
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