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Last Updated : शनिवार, 5 अक्टूबर 2019 (14:38 IST)

3 दिन में 2 बार अविनाश सबले ने तोड़ा राष्‍ट्रीय रिकॉर्ड, जानिए कौन है यह युवा एथलीट

3 दिन में 2 बार अविनाश सबले ने तोड़ा राष्‍ट्रीय रिकॉर्ड, जानिए कौन है यह युवा एथलीट - Athlete Avinash Sable breaks national record 2 times in 3 days
दोहा। भारत के अविनाश सबले ने यहां चल रही विश्व चैम्पियनशिप में पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में अपने राष्ट्रीय रिकार्ड को तोड़ते हुए टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन वह फाइनल में 13वें स्थान पर रहे। अविनाश ने तीन दिन में दूसरी बार अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा।
 
पुरुषों की 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा में भाग ले रहे 40 प्रतिभागियों में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी के टी इरफान एक घंटे 35 मिनट 21 सेकेंड के समय से निराशाजनक 27वें स्थान पर रहे जबकि हमवतन देवेंदर सिंह एक घंटे 41 मिनट 48 सेकेंड के समय से 36वें स्थान पर रहे। इरफान पहले ही टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। 
महाराष्ट्र के मांडवा गांव के किसान के बेटे अविनाश ने आठ मिनट 21.37 सेकेंड का समय निकालकर ओलंपिक क्वालीफाइंग मानक समय 8:22.00 से बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन वह शुक्रवार की रात पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में 13वें स्थान पर रहे।

भारतीय सेना के इस 25 वर्षीय हवलदार ने मंगलवार को पहले दौर की हीट के दौरान (तब के) राष्ट्रीय रिकार्ड 8:28.94 सेकेंड से बेहतर करते हुए 8:25.23 का समय निकाला था।
 
मौजूदा ओलंपिक चैम्पियन कोनसेसलस किप्रुतो ने 2017 के खिताब को बरकरार रखा। कीनिया के एथलीट ने 8 मिनट 01.35 सेकेंड के समय के साथ गोल्ड मेडल जीता। वह अविनाश से 20 सेकेंड आगे रहे। 
 
जानिए कौन हैं अविनाश सबले : अविनाश 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद सेना की 5 महार रेजीमेंट से जुड़ गए थे। 2013-14 में सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे। इसके बाद उनकी तैनाती 2015 में राजस्थान और सिक्किम में हुई। वर्ष 2015 में उन्होंने अंतर-सेना क्रास कंट्री रेस में हिस्सा लिया और फिर वह सेना के कोच अमरीश कुमार के मार्गदर्शन में 2017 में स्टीपलचेज में भाग लेने लगे।
 
विवाद के बाद मिली थी फाइनल में जगह : मंगलवार को वह हीट रेस में जगह बनाने नाकाम रहे थे लेकिन नाटकीय परिस्थितियों के बाद उन्होंने शुक्रवार को फाइनल में जगह बनाई।
 
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने विरोध दर्ज कराया था कि हीट के दौरान अन्य खिलाड़ियों ने उनके मार्ग में बाधा उत्पन्न की थी। इसे विरोध को स्वीकार किये जाने के बाद उन्हें पुरूषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल में शामिल किया गया।
 
वीडियो फुटेज की जांच के बाद रेस के रैफरी ने माना कि दो मौकों पर अविनाश के मार्ग में रूकावट पैदा की गई थी। भारत के विरोध को स्वीकार कर लिया गया और नियम 163.2 (बाधा पहुंचाने) के अंतर्गत उन्हें फाइनल में शामिल किया गया।
 
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