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Last Updated : बुधवार, 14 जुलाई 2021 (17:53 IST)

टोक्यो ओलंपिक का टिकट पाने वाली पहली भारतीय तलवारबाज भवानी देवी ने इत्तेफाक से शुरू किया था यह खेल

टोक्यो ओलंपिक का टिकट पाने वाली पहली भारतीय तलवारबाज भवानी देवी ने इत्तेफाक से शुरू किया था यह खेल - Association with fencing was merely a coincidence for Bhavani Devi
नई दिल्ली:आठ बार की राष्ट्रीय चैम्पियन भवानी देवी वहां पहुंचने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं, जहां आज तक भारत को कोई फेंसर (तलवारबाज) नहीं पहुंच सका है।
 
भवानी टोक्यो में ऐसी चीज का सपना देख रही हैं, जिसके बारे में अन्य लोग सोच कर भी डर जाते हैं। भवानी देवी ने कहा, ‘‘किसी ने मुझसे पूछा कि क्वार्टर फाइनल में जाने के लिए मेरे क्या प्लान्स हैं। अब जबकि मैं ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी हूं तो मैंने कहा कि सिर्फ क्वार्फाइनल ही क्यों फाइनल क्यों नहीं।’’
 
इटली से बुधवार को वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए भवानी ने कहा, ‘‘"मैं टोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती हूं और मैं यह सोचकर सीमित नहीं करना चाहती कि मैं वैश्विक आयोजन में क्या हासिल कर सकती हूं या क्या नहीं हासिल कर सकती हूं। वहां जाना है तो यह मानकर जाना होगा कि वहां संभावनाएं असीम हैं।"
 
फेंसिंग एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष और आईओए के महासचिव राजीव मेहता ने प्रेस से बात करते हुए गर्व के साथ कहा कि उन्हें भवानी की प्रतिभा में हमेशा विश्वास था।राजीव मेहता ने कहा, "मैंने दो साल पहले कहा था कि वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने जा रही है और तब कई लोग मुझ पर हंस रहे थे। अब मैं यह कहने जा रहा हूं कि वह टोक्यो में कुछ खास हासिल करने जा रही है।"
 
मेहता का मानना है कि भवानी की योग्यता देश में फेंसिंग (तलवारबाजी) का चेहरा बदलने वाली है। उन्होंने कहा, "खेल मंत्री के साथ, हमने पहले ही इस खेल के लिए रणनीति बना ली है। हम 31 मार्च तक देशभर में 50 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण करना चाहते हैं। इनमें से प्रत्येक में 30 प्रतिभाशाली बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।"
भवानी का उद्भव और सफलता धैर्य, कड़ी मेहनत और बलिदान की कहानी है। वह अपने वित्तीय संघर्षों के बारे में नकारात्मक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहती था, लेकिन उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने 11 साल की उम्र में इत्तेफाकन तलवारबाजी अपनाई थी।
 
भवानी ने हंसते हुए कहा, "जब मैंने खेलों में हिस्सा लेने के लिए दाखिला लिया, तो हम सभी को समूहों में विभाजित किया गया और पांच अलग-अलग खेलों में से एक को चुनने का विकल्प दिया गया। जब तक मेरी बारी आई, तब तक केवल तलवारबाजी में ही स्लॉट बचा था।"(वार्ता)