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Last Modified: उज्जैन , शनिवार, 2 अप्रैल 2016 (18:18 IST)

50 लाख के भवन में रह रही पुलिस, साधु सड़क पर

50 लाख के भवन में रह रही पुलिस, साधु सड़क पर - ujjain simhastha 2016 :  police and sadhu sant
- आलोक अनु
जमीन आवंटन में गड़बड़ी के कारण करीब 50 लाख रुपयों की लागत से तैयार किए गए निर्मोही अखाड़े के भवन में पिछले एक पखवाड़े से भी ज्यादा समय से पुलिस रह रही है और अखाड़े के साधु बाहर प्लॉट पर तेज गर्मी और मच्छरों से जूझ रहे हैं। प्रशासन भी साधुओं के बीच शुरू हुई पद व वर्चस्व की लड़ाई में पार्टी नहीं बनना चाहता। इस कारण साधुओं को सुलह की सलाह दी गई है।
 
इस बार राज्य सरकार ने शहर में सिंहस्थ के लिहाज से खजाने का मुंह खोलकर बजट को पिछले सिंहस्थ की तुलना में 10 गुना बढ़ा दिया है। इसी के साथ ही अखाड़ों में भी किए जाने वाले निर्माण कार्यों के लिए प्रत्येक अखाड़े को 50-50 लाख रुपए स्वीकृत किए गए। 
 
मंगलनाथ जोन में स्थित श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अनि अखाड़े में भी 50 लाख रुपए खर्च कर भवन तैयार कराया गया। इस भवन से लगे प्लॉट को पिछले सिंहस्थ के आवंटन के आधार पर श्रीमहंत मदनमोहनदास व महंत भगवानदास श्रृंगेरी को उनके गुरु के आधार पर दे दिया गया तो दूसरे पक्ष से जुड़े श्रीमहंत परमात्मादास व राजेन्द्रदास को यह बात सहन नहीं हुई। उन्होंने स्वयं को अखाड़े का श्रीमहंत बताते हुए न केवल आपत्ति दर्ज कराई बल्कि प्लॉट पर रह रहे साधुओं के साथ मारपीट कर दी। इस मामले में दोनों पक्षों ने एक- दूसरे पर मारपीट करने व अन्य गंभीर आरोप भी लगाए। 
 
पुलिस ने विवाद से बचने के लिए दोनों पक्षों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। इस आवंटन को लेकर आगे विवाद न हो सके, इसके लिए प्रशासन ने दोनों को भवन व प्लॉट आवंटित नहीं किए।
 
न्यायालय से मिली राहत : लेकिन पहले पक्ष ने इस मामले में कोर्ट का सहारा लिया तो कोर्ट ने उन्हें प्लॉट पर काबिज मानते हुए कब्जा देने का आदेश प्रशासन को दिया। लेकिन प्रशासन भवन को लेकर किसी एक पक्ष को खुश नहीं करना चाहता है इसलिए दोनों ही पक्षों को भवन में रहने की अनुमति नहीं दी गई है। इस कारण पिछले करीब 20-25 दिनों से सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने निर्मोही अखाड़े के भवन को छावनी बना रखा है। साथ ही विवाद न हो, इसके लिए वहां 1-4 का गार्ड भी बैठा दिया है।
 
दोनों ने किया श्रीमहंत होने का दावा : निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत होने को लेकर परमात्मादास व मदनमोहनदास द्वारा दावे किए जा रहे हैं और प्रशासन तो क्या अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्रगिरि भी इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
 
श्रीमहंत होने के अपने-अपने दावे के बीच मदनमोहनदास व परमात्मादास के एक-दूसरे पर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप के तीर भी चल रहे हैं। अखाड़ा परिषद व प्रशासन के लिए सबसे बड़ी परेशानी का दिन 8 अप्रैल का होगा, जब निर्मोही अखाड़े में धर्मध्वजा खड़ी की जाएगी। एक धर्मध्वजा के लिए 2 श्रीमहंतों की दावेदारी से साधुओं के बीच एक बार फिर घमासान होने की नौबत आ सकती है।