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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 7 दिसंबर 2008 (13:19 IST)

शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव की संभावना

शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव की संभावना -
देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह उतार-चढ़ाव बने रहने की अधिक संभावना है। उधर उम्मीदों के विपरीत उठापटक वाले कामकाज में बीते हफ्ते बीएसई का सेंसेक्स 128 अंक तथा एनएसई का निफ्टी 41 अंक टूट गए।

रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार को फिर से गति देने के लिए शनिवार को कई रियायतों की घोषणा की। इनमें रैपो दर और रिवर्स रैपो दर में एक-एक प्रतिशत तक कमी किए जाने के साथ ही 20 लाख रुपए तक आवास ऋण को प्राथमिकता की सूची में डाला गया है।

लघु उद्योगों को सहजता से ऋण उपलब्ध कराने के लिए सिडबी को 70 अरब करोड़ रुपए पुर्नवित्त सुविधा मुहैया कराई है। राष्ट्रीय आवास बैंक को 4000 करोड़ रुपए के पुनविर्त सुविधा का ऐलान किया गया है।

आगामी सप्ताह की शुरुआत ही शेयर बाजारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। देश के चार बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही मिजोरम विधानसभा चुनाव के परिणाम आने हैं।

बाजार विशलेषकों का कहना है कि इन चुनावों में ऊट किस करवट बैठता है, शेयर बाजारों के लिए यह अहम होगा।

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपीटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख अशोक अग्रवाल का कहना है कि रिजर्व बैंक के कदमों से ब्याज दरों में नरमी आनी चाहिए, लेकिन देखना यह है कि बैंक इन उपायों को किस स्तर पर लेकर ब्याज दर कितनी घटाते हैं।

उनके अनुसार ब्याज दरों में कमी आने से माँग प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी, किंतु राज्य विधानसभा चुनाव परिणामों का असर शेयर बाजार पर होगा।

बीते सप्ताह सैंसेक्स 127.52 अंक के नुकसान से 8965.20 अंक रह गया। एनएसई का निफ्टी 1.47 प्रतिशत के घाटे से 2714.40 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप में क्रमश: 46.48 तथा 25.81 अंक की बढ़त दर्ज की गई1

विदेशी संस्थान लगातार निकासी करने में जुटे हुए हैं। इस वर्ष विदेशी संस्थान चार दिसम्बर तक 54 हजार 521 करोड़ 80 लाख रुपए की शुद्ध निकासी कर चुके हैं।

बीते सप्ताह शेयर बाजार के लिए कई अच्छी खबरें रहीं, किंतु वैश्विक वित्त संकट और मंदी के दौर में इसका कोई फायदा नजर नहीं आया। महँगाई की दर 0.44 प्रतिशत और घटकर सात माह के न्यूनतम स्तर 8.40 प्रतिशत पर आ गई।

कच्चे तेल के दाम चार साल के बाद पहली बार 40 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आए, लेकिन इस सबके मध्य अक्टूबर माह के दौरान निर्यात तीन माह में पहली बार घटा। निर्यात में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई।