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Written By कमल शर्मा
Last Updated : गुरुवार, 10 जुलाई 2014 (12:59 IST)

शेयर बाजार में खास सुधार की गुंजाइश नहीं

शेयर बाजार में खास सुधार की गुंजाइश नहीं -
शेयर बाजार के हालात आने वाले दिनों में और बिगड़ेंगे... निवेशकों को हर समय सचेत रहने को कह रहे थे, यह बात हम पिछले कुछ सप्‍ताह से लगातार कह रहे हैं और जो पिछले सप्‍ताह भी सही रही। शेयर बाजार के हालात अभी भी सुधरने की आस नहीं है।

अमेरिका ने दुनिया के बड़े तेल भंडार देश इराक पर कब्‍जा कर तेल को तो अपने हाथ में ले लिया लेकिन लगता युद्ध का खर्चा अमेरिका और ओपेक देश अब दुनिया के हर देश से वसूल रहे हैं। क्रूड जल्‍दी ही नई ऊँचाई पर पहुँचेगा...इसकी भविष्‍वाणी हर सप्‍ताह एक ना एक अमेरिकी फर्म ही कर रही हैं। कहीं यह अमेरिका और उससे सहयोग रखने वाले खाड़ी देशों की कमाई योजना तो नहीं है। कूड के दाम जब तक 100-110 डॉलर प्रति बैरल नहीं आ जाते, शेयर बाजारों में बड़े सुधार की गुंजाइश दिखाई नहीं देती।

क्रूड के बढ़ते दाम से अर्थव्‍यवस्‍था पर जो नकारात्‍मक असर पड़ रहा है उसका नतीजा महँगाई दर के 11 फीसदी से ऊपर पहुंच जाना है। बढ़ती मुद्रास्‍फीति को रोकने के लिए सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को हर कड़े कदम उठाने को कह दिया है।

ब्‍याज दर नकारात्‍मक होते ही अब रिजर्व बैंक ब्‍याज दर बढ़ाने के अलावा सीआरआर में बढ़ोतरी कर सकता है। साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी एवं भविष्‍य में और वृद्धि की संभावना को देखते हुए बैंक चाहेगा कि रुपया 43 या 43.50 का स्‍तर न तोड़े। इसके लिए रिजर्व बैंक को विदेशी मुद्रा बाजार में भी कठोर कदम उठाने पड़ेंगे।

इस बीच, केंद्र सरकार से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। बसपा के संसद में 17 सदस्‍य हैं। लेकिन जब तक वामपंथी दलों के 59 सदस्‍य समर्थन वापस नहीं लेते, मायावती का फैसला केंद्र सरकार की सेहत बिगाड़ नहीं सकता। वामपंथी नहीं चाहते कि भारत और अमेरिका के बीच परमाणु करार हो, लेकिन वे यह भी नहीं चाहते कि दिल्‍ली में बैठी सरकार जल्‍दी गद्दी से उतर जाए या समय से पहले आम चुनाव हो।

इधर अमेरिकी राष्‍ट्रपति जॉर्ज बुश अपनी विदाई से पहले भारत के साथ यह करार कर लेना चाहते हैं और इसके लिए जोरदार दबाव बनाया जा रहा है जिसमें अमेरिकी मित्र राष्‍ट्र भी भारत को यूरेनियम से लेकर दूसरी सहायता रोकने तक की अप्रत्‍यक्ष बात कह रहे हैं। सरकार को दूसरे देशों की तरह इस मुद्दे को पूरी तरह समझाकर इस पर आम जनता की राय लेनी चाहिए कि वह वास्‍तव में क्‍या चाहती है। परमाणु करार पर कांग्रेस व वामपंथियों की बीच जब तक तकरार रहेगी, बाजार को तय दिशा नहीं मिल सकेगी।

अब एक नजर भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर भी डाल लें। वर्ष 1992 से 2006 के बीच सेंसेक्‍स ने नई ऊँचाई पर पहुंचने के बाद सात बार 25 फीसदी से अधिक गिरा और अगले छह महीने में ही इसने पाँच बार पॉजिटिव प्रतिफल दिया। बीएसई सेंसेक्‍स जनवरी से अब तक 30 फीसदी गिर गया है। इतिहास पर भरोसा करने वाले मानते हैं कि यहां से छह महीने तक निवेश करने की जिसकी हिम्‍मत होगी उसे बाजार बेहतर प्रतिफल देगा। पिछले सात किस्‍सों में से दो बार यानी 1992 में हर्षद मेहता घोटोले और 2000 में केतन पारेख घोटाले के समय गिरा बाजार अगले छह महीने में नहीं उठा था।

बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 23 जून से शुरु हो रहे सप्‍ताह में ऊपर में 15088 और नीचे में 14133 अंक के बीच रहेगा। जबकि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4222 से 4488 अंक के बीच रहने की संभावना है।

तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि इस सप्‍ताह अहम सपोर्ट रेंज 14581-14424 और 13696-13779 अंक है। अगले सप्‍ताह बीएसई सेंसेक्‍स के निचले स्‍तर 14131 और 12862 हो सकते हैं जबकि ऊपरी तरफ के रेसीसटेंस स्‍तर 14960, 15400 और 15789 हैं। वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार में अभी और निचला स्‍तर बनने की संभावना है। हर बढ़त पर निवेशकों को अपनी पोजीशन कम करने की रणनीति अपनानी चाहिए। निवेशक सेंसेक्‍स के 14960 या 15400 तक बढ़ने का इंतजार कर सकते हैं लेकिन जब यह गिरकर 14960 या 15400 से नीचे आता दिखे तो बिकवाली कर बाहर निकल जाएँ।

इस सप्‍ताह निवेशक बीओसी इंडिया, गुजरात नर्मदा फर्टिलाइजर, केएस ऑयल, जीएमआर इंफ्रा, स्‍टेट ट्रेडिंग कार्पोरेशन, न्‍यूमैरिक पावर, इंडियन होटल्‍स, यूनिटेक, टिप्‍स इंडस्‍ट्रीज और इंटरनेशनल कोम्‍ब्‍युजन पर ध्‍यान दे सकते हैं। इस सप्‍ताह टाटा पावर, राम्‍को सिसटम्‍स, इंडियन होटल्‍स, टाट कैमिकल्‍स, अपोलो हॉस्पिटल, अमरराजा बैटरीज, ओएनजीसी, टिस्‍को, तुलिप टेलीकॉम, नीतिन फायर प्रोटेक्‍शन, वेस्‍ट कॉस्‍ट पेपर मिल्‍स, गोडफ्रे फिलिप्‍स, साउथ इंडिया बैंक, मुद्रा लाइफस्‍टॉइल, सीबा इंडिया, जेट एयरवेज, हेस्‍टर फार्मा और पटेल इंजीनियरिंग के नतीजों पर बाजार की नजर रहेगी।
*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।