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Last Updated : गुरुवार, 8 जून 2017 (15:23 IST)

क्या खतरनाक है शिव के मंदिर में ताली बजाना?

क्या खतरनाक है शिव के मंदिर में ताली बजाना? - tali bajana Shiva mandir
ऐसे कई मौके होते हैं जहां ताली बजाई जाती है। किसी समारोह में, स्कूल में, घर में आदि स्थानों पर जब भी कोई खुशी और उत्साह वाली बात होती है हम उसका ताली बजाकर अभिवादन करते हैं। हिंदू धर्म में आमतौर पर भगवान की स्तुति करते समय ताली बजाने का प्रचलन है।
 
हिंदू धर्म में आरती के दौरान ही ताली बजाना (कर्तल ध्वनि) एक स्वाभाविक क्रिया मानी जाती है। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार केवल आरती के मध्य ही कर्तल ध्वनि उत्पन्न करना उपयुक्त पद्धति है। आरती को छोड़कर अन्य समय में मंदिर में ताली नहीं बाजाने की मान्यता है।
 
कहते हैं कि भगवान शिव के मंदिर में कुछ विशेष समय में ताली बजाना खतरनाक हो सकता है। मान्यता अनुसार भगवान शिव ध्यान में मग्न रहते हैं। ऐसे में कभी भी मंदिर में जाकर कुछ लोग उनके शिवलिंग के पास तीन बार ताली बजाते हैं जो कि अनुचित है।
 
माना जाता है कि इस तरह शिवलिंग के पास ताली बजाना उनका अपमान और ध्यानभंग करना समझा जाता है और इससे उनके गण रुष्ठ हो जाते हैं। अत: आप जब भी शिवमंदिर में जाएं तो सिर्फ संध्यावंदन के समय ही वहां ताली, घंटी या शंख बजा सकते हैं। हालांकि इस बारे में किसी जानकार से पूछा लेना उचित‍ होगा, क्योंकि यह जनश्रुति पर आधारित मान्यता है।
 
ताली बजाने के फायदे :  
*ताली बजाना सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और यदि प्रतिदिन अगर नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाई जाएं तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाया जा सकता है।
*कहते हैं कि संकीर्तन (कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाना) में काफी शक्ति होती है। संकीर्तन से हमारे हाथों की रेखाएं तक बदल जाती हैं।
*एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार, मनुष्य के हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं, जिनको दबाने पर संबंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है। ताली बजाने से सभी बिंदुओं पर प्रेशर पड़ता है।
*जिस प्रकार से ताला खोलने के लिए चाभी की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह कई रोगों को दूर करने में यह ताली ना सिर्फ चाभी का ही काम करती है, बल्कि कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे ‘मास्टर चाभी’ भी कहा जाता है।