बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. नीति नियम
  4. chaturdashi vrat

3 चतुर्दशी तिथियों में व्रत करने के महत्व को जानिए

3 चतुर्दशी तिथियों में व्रत करने के महत्व को जानिए | chaturdashi vrat
वर्ष में 24 चतुर्दशी होती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का व्रत और पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. जीवन में आने वाले बुरे समय और विपत्तियों को भी यह दूर करता है।
 
 
चतुर्दशी के देवता हैं शंकर। इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है। यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तिथि हैं। चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं। इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है। इसकी दिशा पश्‍चिम है। यह तिथि चन्द्रमा ग्रह की जन्म तिथि भी है। चतुर्दशी तिथि को मूल रूप से शिवरात्रि होती है, जिसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
 
मूलत: तीन चतुर्दशियों का महत्व है- अनंत, नरक और बैकुण्ठ।
 
1.अनंत चतुर्दशी- अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है। इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है।
 
2.नरक चतुर्दशी- कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी आती है। इस दिन यमदेव की पूजा का विधान है।
 
3.बैकुण्ठ चतुर्दशी- कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन पूजा, पाठ जप, एवं व्रत करने से श्रद्धालु को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़ें
पितृ पक्ष 2019 : पितृ दोष दूर करने का सबसे सही समय, 4 सरल उपाय करें इन 16 दिनों में