बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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Written By WD

इन 'तीन' में समाया है जीवन का संपूर्ण सार

इन ''तीन'' में समाया है जीवन का संपूर्ण सार -
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बहुत से धर्म हैं, जो दो तरह की शक्तियों को मानते हैं- ईश्वर और शैतान, नर और मादा, सकारात्मक और नकारात्मक आदि। बहुत से धर्म मानते हैं कि सभी के मूल में एक ही है। हालांकि हिन्दू धर्म शुद्ध रूप से अद्वैतवाद है फिर भी तीन शक्तियों का संसार में महत्व रहा है। सूक्ष्म रूप से देखने पर यह एक, दो या तीन नहीं होते, अद्वैत होते हैं लेकिन व्यावहारिक तौर पर तीन हैं।

संसार में आमतौर पर देखने पर तीन तरह की शक्तियां नजर आती हैं। जैसे इलेक्ट्रॉन, ‍न्यूट्रॉन और प्रोटॉन। तीन शक्तियां- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। तीन काल- भूत, भविष्य और वर्तमान। तीन प्रकल्प- प्रात:, मध्याह्न और संध्या। जीवन के तीन पड़ाव- बचपन, जवानी और बुढ़ापा। जीवन की तीन यात्रा- जन्म, जीवन और मृत्यु। तीन तरह की ऊर्जा- सकारात्मक, नकारात्मक और मिश्रित आदि। इसी तरह संपूर्ण संसार में तीन का महत्व है। आओ जानते हैं कि क्या- क्या है तीन।

अगले पन्ने पर जानिए जीवन को बदलने वाला ज्ञान....



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* अ, ऊ और म- तीन अक्षर से मिलकर बना ॐ।
* त्रिभूज और पिरामिठ का महत्व सभी जानते हैं।
* वेदत्रयी- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद।
* मंत्रों के विभाग- पद्य, गद्य और गान।
* त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
* त्रिदेवी- सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती।
* तीन भगवान- राम, कृष्ण और बुद्ध।
* तीन गुण- सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण।
* तीन आराधना : पूजा-आरती, कीर्तन और प्रार्थना।
* त्रियोग : आसन, प्राणायाम और ध्यान।

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*तीन अक्षर- अ, उ और म= ॐ।
* तीन मंत्र- गायत्री, महामृत्युंजय और दुर्गा।
* तीन विद्या- मंत्र, तंत्र और यंत्र
* तीन प्रकार का जप : वाचिक, उपांशु एवं मानसिक।
* तीन साधना : देव साधना, पितृ साधना और योग साधना।
* त्रैलोक्य- पाताल, धरती और आकाश। अर्थात भू, भुव और स्वर्ग।

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* तीन तरह के भक्त : उत्तम, मध्यम और साधारण।
* आत्मा की तीन शक्तियां : मन, बुद्धि और संस्कार।
* तीन प्रकार के हठ : बाल हठ, स्त्री हठ और राज हठ।
* तीन प्रकार के विश्वासी लोग : विश्वासी, अविश्‍वासी, दुविधा।
* तीन प्रकार की बुद्धि : रबड़ बुद्धि, चमड़ा बुद्धि, तैलीय बुद्धि।
* तीन प्रकार के व्यक्ति : मूर्ख, सामर्थ्यहीन और बुद्धिहीन
* तीन तरह की बुद्धि : जड़-प्राण बुद्धि, मन-तर्क बुद्धि और ज्ञान-विवेक बुद्धि।
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* तीन प्रकार की विद्या : लौकिक विद्या (संसार), योग विद्या (लोक-परलोक) और आत्मविद्या (आत्मा-परमात्मा)।

* तीन सृष्टियां : जीव सृष्टि, ईश्वरीय सृष्टि और ब्रह्म सृष्टि। जीव सृष्टि क्षर पुरुष से है, ईश्वरीय सृष्टि अक्षर ब्रह्म से है तथा ब्रह्म सृष्टि अक्षरातीत परब्रह्म से है। इन तीनों का धाम (निवास स्थान) भी क्रमशः अलग-अलग ही है।

* तीन प्रकार की भक्ति : अपोरा सिद्धा (दान-परोपकार), संग सिद्धा (सत्संग, सहयोग, तीर्थ, धर्म प्रचार), और स्वरूप सिद्धा ( नाम संकीर्तन, ध्यान, प्रार्थना)।

* तीन तरह की पूजा : सात्विक (राम, कृष्ण और दुर्गा आदि की), राजसिक (यक्ष, राक्षस आदि की) और तामसिक (भूत, जिन्न, पिशाच, पितृ आदि)

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*तीन गुरु : ‍‍दत्तात्रेय, हनुमान और माता-पिता।
*तीन देवता- कुल, ग्राम और स्थान।
*तीन देवियां- कुल, ग्राम और स्थान।
*तीन स्वर : मंद, मध्यम और उच्च।
*तीन रस : सोम रस, सूरा रस और मद्य रस।
*तीन ऋण : देव, ऋषि और पितृ।
*तीन प्रमुख कल्प : ब्रह्म, वराह और पद्य।

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*तीन कर्म संग्रह : कर्ता, करण और क्रिया।
*तीन कर्म प्रेरणा : ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय।
*त्रिदोष : वात, पित्त, कफ।
*तीन उपस्तभ्य : आहार, स्वप्न और ब्रह्मचर्य
*त्रिबंध : जालंधर, मूल और उड्डीयान।
* भोजन के तीन प्रकार : सात्विक, राजसी और तामसी।
*तीन प्रकार के कर्म : संचित कर्म, प्रारब्ध कर्म और क्रियमण कर्म।
*त्रिविध ताप : आधिभौतिक (सांसारिक), आधिदैविक (देवी), एवं आध्यात्मिक (कर्म)।
* तीन प्रकार की जीवन शैली : 1. पदार्थापेक्ष जीवनशैली, 2. आत्मापेक्ष जीवनशैली और 3. उभयापेक्ष जीवनशैली।
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*तीन वृक्ष: बड़, पीपल और नीम।
*तीन तीर्थ : देव तीर्थ, ऋषि तीर्थ और पितृ तीर्थ- कैलाश, प्रयाग और गया, पहाड़, नदी और समुद्र।
तीन त्योहार : कुंभ, मकर संक्रांति और कृष्णजन्माष्टमी।
*तीन योग : ज्ञान, कर्म और भक्ति।
*तीन भक्त : हनुमान, प्रहलाद और एकलव्य।
*तीन प्रकार के भक्त : .........................।
*तीन प्रकार के सिद्ध :..................।

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*तीन मंगल स्वर : घंटी, शंख, बांसुरी।
*तीन मंगल प्रतीक : ॐ, स्वस्तिक और रंगोली।
*तीन मंगल स्थापना : कलश, दीपक और विग्रह।
*तीन पवित्र सूत्र : मंगलसूत्र, रक्षा सूत्र और संकल्प सूत्र
*त्रिफला : आंवला, बहेड़ा और हरड़ मिलकार बनता स्वास्‍थ्यवर्धक त्रिफला।
*त्रिकालदर्शी : भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञाता।
*त्रिकाल संध्या पूजन : प्रात:काल संध्या पूजन, मध्याह्न संध्या पूजन और सायं संध्या पूजन।
*तीन प्रकार के ग्रहण : सूर्य ग्रहण, चंद्रग्रहण और पाणिग्रहण।
* तीन तरह के विचार : भाव विचार, कर्म विचार और बुद्धि विचार।

उक्त तीन के बारे में थोड़ी भी जानकारी आपके जीवन को बदलने की क्षमता रखती है।